HomeCropअंगूर की खेती के लिए खेत की तैयारी

अंगूर की खेती के लिए खेत की तैयारी

विश्व में भारत ने वर्ष 2021 में  263,075.67 मीट्रिक टन अंगूर का निर्यात किया था, जिसकी कुल कीमत 2,302.16 करोड़ रुपए थी। भारत के प्रमुख अंगूर निर्यातक देश नीदरलैंड, बांग्लादेश, रूस, यू.के., संयुक्त अरब अमीरात एवं जर्मनी हैं। विश्व में भारत का अंगूर उत्पादन में सातवां स्थान है l भारत द्वारा उत्पादित अंगूर का उपयोग मुख्य रूप से खाने में किया जाता है l इन अंगूरों का उपयोग शराब बनाने के लिए नहीं किया जाता है। देश के प्रमुख अंगूर उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और मिजोरम हैं। अंगूर की खेती गर्म एवं शुष्क जलवायु वाली परिस्थितियों में की जाती है l

कठिनाई स्तर:

कठिन

बीज चयन:

अंगूर चार प्रकार के होते हैं: सफेद अंगूर, लाल अंगूर, बीज वाले अंगूर और बिना बीज वाले अंगूर। अंगूर की प्रमुख किस्में बैंगलोर ब्लू, गुलाबी, ब्यूटी सीडलेस और शरद सीडलेस, अनाब-ए-शाही, दिलखुश, परलेट, पूसा सीडलेस, थॉम्पसन सीडलेस, तस-ए-गणेश, सोनाका, मस्कट, पचद्रक्ष, अर्का श्याम, अर्का कंचन, अर्का हंस, माणिक चमन, सोनाका, फ्लेम सीडलेस और माणिक चमन आदि हैं।

बीज उपचार:

मुख्य रूप से अंगूर का प्रवर्धन कलम / कटिंग के माध्यम से किया जाता है। हार्ड वुड कटिंग को थाइरम @ 3 ग्राम / लीटर पानी की दर से उपचारित किया जाता है l  उपचार के बाद कटिंग को पॉलिथीन बैग में रख दिया जाता है एवं छाया वाले स्थान पर संग्रहित किया जाता है।

भूमि की तैयारी:

अंगूर मुख्य रूप से हार्ड वुड कटिंग के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। अंगूर की खेती के लिए भूमि की तीन से चार बार जुताई की जाती है। जुताई के बाद खेत को ट्रैक्टर के द्वारा समतल किया जाता है। अनाब-ए-शाही और बैंगलोर ब्लू जैसी व्यापक किस्मों के लिए 1.2 मीटर X 1.2 मीटर की दूरी पर गड्ढे तैयार किये जाते है और थॉम्पसन सीडलेस, परलेट और ब्यूटी सीडलेस जैसी छोटी किस्मों के लिए 90 X 90 सेमी के छोटे गड्ढे तैयार किये जाते है। प्रारंभिक खुराक के रूप में 5-10 टन अच्छी सड़ी हुए गोबर की खाद का उपयोग कर सकते है या गोबर की खाद 5-10 किलोग्राम, यूरिया 100 ग्राम, फॉस्फोरस 80 ग्राम, और पोटेशियम 300 ग्राम प्रति बेल या पौधे की दर से उपयोग करें ।

अंगूर के लिए आवश्यक मिट्टी का प्रकार:

अंगूर की खेती के लिए शुष्क परिस्थिति के साथ समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त रहती है l जलभराव से बचने के लिए उचित जल निकास वाली मिट्टी होनी चाहिए l अंगूर की खेती के लिए उचित जल निकास वाली समृद्ध दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। सूखी मिट्टी जिसका पीएच मान लगभग 6.5 – 7.0 हो अच्छी मानी जाती है l

निष्कर्ष:

प्रवर्धन के बाद अंगूर बेल की उचित छंटाई करनी चाहिए। अंगूर की खेती करना कठिन है l देश में जैसे-जैसे अंगूर का उत्पादन बढ़ता है, वैसे-वैसे विश्व में इसकी मांग भी बढ़ती है। इसी कारण अंगूर भविष्य में उच्च लाभ देने वाली एक आशाजनक फसल है।

spot_img

और पढ़े

जुड़े रहें

हमसे नवीनतम अपडेट प्राप्त करने के लिए सदस्यता लें।

संबंधित लेख