Crop

अदरक की खेती के लिए खेत की तैयारी

गत वर्ष 2021-22 में भारत ने कुल 21.20 लाख टन अदरक का उत्पादन किया था, जिसमें से 1.48 लाख टन अदरक का निर्यात किया गया जिसका कुल मूल्य 837.34 करोड़ रुपये रहा l अदरक का उपयोग जुकाम, खांसी, उल्टी, चक्कर आना, उच्च रक्तचाप और दृष्टि समस्याओं आदि बीमारियों के लिए किया जा सकता है l भारतीय पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में अदरक का उपयोग पाचन, बुखार और पेट के रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। देश में प्रमुख अदरक उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, कर्नाटक,असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, केरल, महाराष्ट्र और मेघालय आदि हैं।

कठिनाई स्तर:

(कठिन)

बीजों का चयन:

अदरक की संकर और जीएमओ किस्मों की तुलना में देशी और पारंपरिक किस्में अधिक है। इनमें से कुछ लोकप्रिय किस्में हैं, आईआईएसआर सुप्रभा, सुरुचि, सुरभि, हिमागिरी, चाइना, असम, मारन, हिमाचल, नदिया और रियो-डी-जनेरियो है।

बीज उपचार:

अदरक का प्रवर्धन प्रकंदों द्वारा किया जाता है। इन प्रकंदों को बीज प्रकंद के नाम से भी जाना जाता है। प्रकंदों को 2.5-5.0 सेमी के छोटे टुकड़ों में काटा जाता है, प्रत्येक प्रकन्द का वजन 20-25 ग्राम होता है। इन अदरक के बीज प्रकन्दों को 30 मिनट के लिए मैंकोजेब 0.3% @ 3 ग्राम/लीटर पानी का घोल बनाकर उपचारित किया जाता है, और फिर 3-4 घंटे के लिए बीज प्रकंदों को छाया में सुखाया जाता है।

अदरक के लिए भूमि की तैयारी:

सर्वप्रथम भूमि की 4 से 5 बार अच्छी तरह से जुताई की जाती है l अंतिम जुताई के दौरान 25-30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग किया जाता है। इसके बाद 1 मीटर चौड़ाई , 30 सेमी ऊंचाई के साथ 50 सेमी के अंतराल पर क्यारियां तैयार की जाती हैं। प्रकंद रोग एवं सूत्रकृमि के प्रति संवेदनशील होते हैं जो उपज को काफी कम कर देते हैं। इसके निदान के लिए रोपण के समय नीम की खली 2 टन/हेक्टेयर की दर से उपयोग  किया जा सकता है l अदरक की फसल के लिए बेसल नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की सिफारिशें अलग-अलग राज्यों के अनुसार अलग-अलग होती है, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की एक सामान्य सिफारिश 100:50:50 किग्रा/हेक्टेयर है। फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग रोपण के समय करना चाहिए।

अदरक के लिए आवश्यक मिट्टी का प्रकार:

अदरक अपनी व्यापक प्रकृति के कारण एक ही खेत में साल दर साल तक नहीं उगाई जा सकती है। अदरक की खेती के लिए विशेष प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता होती है। अदरक बलुई दोमट, चिकनी दोमट, लाल दोमट या लैटेरिटिक दोमट में सबसे अच्छी होती है। उचित जल निकास वाली भुरभुरी दोमट मिट्टी जो ह्यूमस से भी समृद्ध हो, अदरक की खेती के लिए आदर्श मानी जाती है l 

अदरक के उत्पादन के लिए मिट्टी का पीएच:

अदरक की खेती के लिए 5.5 से 6.5 पीएच मान वाली गहरी एवं ढीली मिट्टी उपयुक्त रहती है।

निष्कर्ष :

अदरक एक कठिन एवं लंबी अवधि वाली फसल है जिसकी खेती निरंतर नहीं की जा सकती है। अदरक, मूल्य संवर्धन के बिना भी उच्च मांग वाली फसल है और आशाजनक प्रतिफल भी देती है।

Recent Posts

धान की खरपतवारों से छुटकारा और ₹500 तक नकद* राशि!

कॉर्टेवा रिवॉर्ड पॉइंट्स कार्यक्रम शुरू! ! हर धान किसान जानता है, जैसे ही फसल जमती है, खरपतवार…

July 11, 2025

एक्सेल इंडस्ट्रीज़ एक्सकैलेंट FAQs Part 4

प्र: Xscalent इस्तेमाल करते समय कोई सावधानी रखनी चाहिए? उ: Xscalent फसलों, मनुष्यों, मिट्टी और…

March 19, 2025

एक्सेल इंडस्ट्रीज़ एक्सकैलेंट FAQs Part 3

  प्र: क्या Xscalent को विशेष रूप से स्टोर करना पड़ता है? उ: हाँ, इसे…

March 19, 2025

एक्सेल इंडस्ट्रीज़ एक्सकैलेंट FAQs Part 2

  प्र: Xscalent इस्तेमाल करने के बाद स्केल का क्या होता है? उ: घुला हुआ…

March 19, 2025

एक्सेल इंडस्ट्रीज़ एक्सकैलेंट FAQs Part 1

  प्र: Xscalent क्या है? उ: Xscalent एक विशेष मिश्रण है जिसमें चेलेटिंग एजेंट होते…

March 19, 2025

एक्सेल इंडस्ट्रीज़ एपिसेल FAQs Part 5

  प्र: क्या एपिसेल को यूरिया के साथ मिला सकते हैं? उ: जी हां, एपिसेल…

March 19, 2025