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आलू की खेती के लिए खेत की तैयारी

भारत में आलू की खेती पिछले 300 वर्षो से हो रही है। भारत के वित्तीय वर्ष 2021 में अकेले उत्तर प्रदेश राज्य ने लगभग 16 मिलियन टन आलू का उत्पादन किया था। वर्ष 2019 – 2020 में आलू का निर्यात 5 अरब रुपए का हुआ l आलू एक मजबूत फसल है जो किसी भी क्षेत्र में उगाया जा सकता है। भारत में प्रमुख आलू उत्पादक राज्य हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार और आसाम है। बहुउपयोगी प्रतिभा के कारण, मूल्य वर्धित आलू हमेशा मांग में रहते है।

कठिनाई स्तर:

(आसान / मध्यम / कठिन)

बीजों का चयन:

आलू आमतौर पर कंदों द्वारा प्रसारित किया जाता है। आलू की लोकप्रिय किस्मों में कुफरी सिंदूरी, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ज्योति, कुफरी लवकर, कुफरी बादशाह, कुफरी बहार, कुफरी लालिमा, कुफरी जवाहर, कुफरी सतलज, कुफरी अशोक, कुफरी पुखराज, कुफरी चिप्सोना और कुफरी आनंद शामिल हैं। आलू की विदेशी किस्में हैं रसेट, राउंड व्हाइट, लॉन्ग व्हाइट, राउंड रेड, येलो फ्लैश, ब्लू और पर्पल।

आलू बीज उपचार:

बीज जनित रोगों जैसे ब्लैक स्कर्फ, ब्लैक लेग, फ्यूजेरियम रोट और पछेती झुलसा को रोकने के लिए बीज उपचार किया जाता है। बीज कंदों को पूरा या आधा काट कर कैप्टान @ 2 ग्राम / लीटर पानी की दर से उपचारित कर सकते है। आलू के बीज का उपचार प्रायः काटने के 6 घंटे के अंदर कर लिया जाता है। बीजों को ह्यूमिक अम्ल या ऑर्गेनिक ग्रोथ बूस्टर से उपचारित करने से पौधे के अंकुरण और वृद्धि प्रसार के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिलते है।

आलू के लिए खेत की तैयारी :

1. आलू के लिए आवश्यक मिट्टी का प्रकार:

आलू को क्षारीय या लवणीय मिट्टी को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। मिट्टी जो प्राकृतिक रूप से ढीली होती है और कंद के विकास और वृद्धि को बढ़ावा देती है, उसे आदर्श रूप से पसंद किया जाता है। उचित जल निकास एवं वातायन वाली कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट और रेतीली दोमट मिट्टी आलू खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है l

2. आलू उत्पादन के लिए मृदा पीएच :

आलू हल्की अम्लीय मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है। इसकी खेती के लिए 5.2 – 6.4  पीएच मान वाली मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है। 

3. आलू के लिए भूमि की तैयारी :

भूमि की  20 – 25 सेमी तक जुताई की जाती है, और जोती हुई मिट्टी को सूरज के संपर्क में लाया जाता है। मिट्टी में उच्च सरंध्रता होनी चाहिए जो कंद के बेहतर वृद्धि और विकास को बढ़ावा देते है। अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद 25-30 टन/हेक्टेयर की दर से आखिरी जुताई के दौरान मिला दें। बुवाई से पहले 50-60 सेमी की दूरी पर खांचे बनाए। पूरे या कटे हुए कंद को 5-7 सेमी की गहराई के साथ मेड़ के केंद्र पर 15-20 सेमी की दूरी पर लगाये और मिट्टी से ढक दें। गोल किस्मों के लिए औसत बीज दर 1.5-1.8 टन/हेक्टेयर और अंडाकार किस्मों के लिए 2-2.5 टन/हेक्टेयर रहती है।

आईसीएआर ने बाजार में एक चार कतार वाला आलू प्लांटर जारी किया है जो हाल ही में आलू किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रहा है। इस उपकरण को चलाने के लिए 2- 3 लोगों की आवश्यकता होती है और प्रतिदिन 4- 5 हेक्टेयर तक रोपाई की जा सकती है, जिससे श्रम लागत में भी काफी कमी आती है। 

निष्कर्ष:

आलू एक मजबूत फसल है जो लगभग हर जगह उगाई जाती है। आलू एक आदर्श फसल है, कम बाजार भाव के दौरान भी जब मूल्य जोड़ा जाता है, तो यह हमेशा निवेश पर अच्छे प्रतिफल की गारंटी देता है। अन्य फसलों के विपरीत आलू की खेती कहीं भी कभी भी की जा सकती है।

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