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कॉफी की खेती के लिए खेत की तैयारी

देश ने गत वर्ष 2021-2022 में 3.69 लाख टन कॉफी का उत्पादन किया था। विश्व में सर्वाधिक कॉफी उत्पादन करने वाले देश ब्राजील, वियतनाम, कोलंबिया, इंडोनेशिया और इथियोपिया हैं। सर्वाधिक कॉफी उत्पादन में विश्व में भारत का सातवाँ स्थान है l देश में कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु कॉफी का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले राज्य है l  विश्व में भारतीय कॉफी को सबसे अधिक तेज माना जाता है। बड़े पैमाने पर भारतीय कॉफी का निर्यात किया जाता है, जो कुल उत्पादन की गई  कॉफी का लगभग 80% है। भारत देश इटली, जर्मनी, रूस, स्पेन, बेल्जियम, स्लोवेनिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम आदि देशों को कॉफी निर्यात करता है। प्राय दो तरह की कॉफी की खेती की जाती है- अरेबिका और रोबस्टा।

कठिनाई स्तर:

कठिन

बीजों का चयन:

मुख्यतः अरेबिका और रोबस्टा दो प्रमुख प्रकार की कॉफी की प्रजातियां हैं। इन दो प्रजातियों की प्रमुख संकर किस्म केंट, एस-795, कावेरी और सलेक्शन 9 आदि हैं।

बीज उपचार:

मुख्यतः कॉफी के बीज विश्वसनीय विक्रेताओं से ही खरीदे जाते हैं क्योंकि कॉफी की फलियों / बीन्स से बीज का उत्पादन करना बहुत मुश्किल होता है। कॉफी के बीजों को एजोस्पिरिलम और फास्फो बैक्टीरिया से उपचारित किया जाता है। ध्यान रखें कॉफी के बीज अनेक रसायनों के प्रति संवेदनशील होते हैं इसलिए कॉफी के बीजों को बहुत अधिक रसायनों से उपचारित नहीं किया जाता है l अधिक रसायन बीज अंकुरण को प्रभावित कर सकते हैं। बीज की ऊपर की परत को सावधानीपूर्वक हटाना चाहिए। इसके बाद सोडियम हाइपोक्लोराइट के 1 प्रतिशत घोल से बीजों को धोया जाता है। रासायनिक अवशेष को हटाने के लिए बीजों को फौरन डिमिनरलाइज्ड पानी में धोया जाता है। इसके बाद बीजों को 48 घंटे तक भिगोया जाता है।

नर्सरी बेड तैयार करना:

मुख्यतः कॉफी के पौधे खरीद कर लगाये जाते हैं, क्योंकि बीज से पौधे बनाना बहुत मुश्किल, अधिक समय लेने वाला और नाजुक होता है। कॉफी के पौधे पौधशाला में  मुख्यतः पॉलिथीन की थैलियों में तैयार किये जाते हैं। पॉलिथीन की थैलियों में महीन मिट्टी, वर्मीक्यूलाइट और ह्यूमस का मिश्रण तैयार कर भरा जाता है l फिर बीजों को अलग-अलग थैली में बो कर छाया में रखा जाता है। अंकुरण में लगभग 2.5 माह लगते हैं। कॉफी के बीज बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए बहुत ज्यादा पानी या बहुत कम पानी बीजों को मार सकता है।

भूमि की तैयारी :

कॉफी के पौधे की रोपाई के लिए खेत खरपतवार रहित होना चाहिए। खेत से फसल अवशेष हटाकर अच्छे से साफ करना चाहिए। उचित जल प्रबंधन के लिए खेत को ढलान वाली सतह पर होना चाहिए। खेत में पोषक तत्व या खाद के प्रयोग से पहले मिट्टी का परीक्षण अवश्य करा लें। मिट्टी परीक्षण के परिणामस्वरूप ही खेत में चूने की मात्रा डालें l जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद 5 टन/हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए l पौधे आमतौर पर कृषि वानिकी फसल के साथ छाया में लगाये जाते है l

कॉफी की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी:

कॉफी की खेती के लिए उचित जल निकास वाली मिट्टी जिसका पी एच मान 5 से 6 हो एवं ह्यूमस की मात्रा अधिक हो ऐसी मिट्टी उचित मानी जाती है l मिट्टी अम्लीय होनी चाहिए l मिट्टी की उर्वरता का पता लगाने के लिए प्रत्येक 2 वर्ष में मिट्टी का परीक्षण कराते रहना चाहिए।

निष्कर्ष:

कॉफी अत्यधिक संवेदनशील फसल है इसकी खेती करना बहुत कठिन है। कॉफी की खेती अगर उचित ढंग से की जाये तो किसान को निवेश पर अच्छा लाभ प्राप्त होता है।

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