Crop

गुलाब की खेती के लिए खेत की तैयारी

विश्व में भारत सबसे बड़े पुष्प उत्पादक देशों में से एक है l गत वर्ष 2021-22 में देश ने विश्व में 23,597.17 मीट्रिक टन फूलों की खेती के उत्पादों का निर्यात किया था जिसकी कुल कीमत 771.41 करोड़ रुपए थी l वर्ष 2021-22 में ही देश में 2.1 लाख टन खुले फूलों (लूज फ्लावर) और 0.8 लाख टन कटे हुए फूलों (कट फ्लावर) का उत्पादन हुआ था। देश में, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, असम और तेलंगाना प्रमुख पुष्प उत्पादक राज्य हैं।

कठिनाई स्तर:

कठिन

चुनाव के लिए अनेक तरह के गुलाब उपलब्ध है जैसे भिन्न भिन्न रंग, आकार, आकृति, पौध अवधि वाले आदि l गुलाब की प्रमुख लोकप्रिय किस्में हैं –  ग्लैडिएटर, बेबी पिंक, सोफिया लॉरेंस, वाईसीडी 1, वाईसीडी 2, वाईसीडी 3, एडवर्ड रोज, एंड्रा रेड रोज और बटन आदि l गुलाब की खेती विभिन्न प्रकार के कट फ्लावर और मूल्य वर्धित उत्पादों के लिए की जाती है।

रोपण सामग्री और बीज उपचार:

आमतौर पर गुलाब की खेती कटिंग / कलम के माध्यम से की जाती है l कलम मूल पौधे के तने एवं शाखाओं से ली जाती हैं। कलम लेते समय कटिंग पर कम से कम दो से तीन स्वस्थ कलियाँ होनी चाहिए। उपचार के लिए कलम को आईबीए या आईएए के 500 पीपीएम के घोल में डुबोया जाता है। उपचार के फौरन बाद ही कलम लगाई जाती है l

नर्सरी तैयारी:

आमतौर पर गुलाब की खेती की शुरुआत नर्सरी में पॉलीथिन की थैलियों से की जाती है। पॉलीथिन की थैलियों में पॉटिंग मिश्रण, गोबर की खाद और NPK 6:12:12 ग्राम की दर से उपयोग किया जाता है। एक माह में कलम से जड़े निकलने लगती है, जड़ वाली कलमों को मुख्य खेत में रोपा जाता है l

भूमि की तैयारी:

गुलाब की भूमि तैयारी के लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए। रोपाई के लिए 2.0 x 1.0 मीटर की दूरी पर 45 सेमी x 45 सेमी x 45 सेमी के गड्ढे तैयार किए जाते हैं। रोपण से पहले प्रत्येक गड्ढे में 10 किलो गोबर की खाद के साथ एजोस्पिरिलम और फास्फो बैक्टीरिया डाला जाता है l

गुलाब की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी:

गुलाब की खेती के लिए उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष:

गुलाब एक संवेदनशील फसल है। गुलाब की खेती को अत्यधिक पोषक तत्व प्रबंधन की आवश्यकता होती है। गुलाब के फूल अनेक प्रकार के रंगों, आकारों और आकृतियों में आते हैं।

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