भारत में गेहूं की खेती प्रमुख रूप से उत्तरी भागों जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गुजरात आदि राज्यों में की जाती है। देश ने गत वर्ष 2021-22 में 7,239,366.80 मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया था, जिसका कुल मूल्य 15,840.31 करोड़ रुपये था l गेहूं रबी मौसम की सबसे प्रमुख फसल है जिसे मुख्य रूप से चिकनी दोमट मिट्टी में उगाया जाता है। यह एक सूखी फसल है, इसलिए इसके लिए उचित वायु संचार की आवश्यकता होती है।
कठिन
बीज चयन के लिए गेहूं की कई अलग-अलग किस्में हैं – स्थानीय किस्में, संकर और आयातित किस्में l सर्वाधिक प्रसिद्ध किस्में DBW 222, DBW 252, DDW47, DBW 187, DBW 173, HD 2851, HD 2932, PBW 1 Zn, उन्नत PBW 343, PDW 233, WHD 943, TL 2908 आदि हैं। किस्म DBW 222 पंजाब, हरियाणा दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों के लिए आदर्श किस्म है। यह किस्म रस्ट रोग के प्रति प्रतिरोधी भी है। किस्म DBW 252 उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदानी इलाकों के लिए आदर्श है।
बुवाई के लिए गेहूं के बीजों को अधिक भिगोने की आवश्यकता नहीं होती है। बीजों को भिगोने के लिए 8 – 12 घंटे पर्याप्त रहते है l बीजों को अधिक लंबे समय तक भिगोने से कवक संक्रमण बढ़ जाता है जिससे बीज सड़ जाते हैं और खेती के लिए उपयुक्त नहीं रहते हैं।
गेहूं का बीज उपचार विभिन्न तरीको से किया जाता है जो की जलवायु, बुवाई का स्थान एवं मिट्टी की दशा पर निर्भर करता है l कुछ सामान्य बीज उपचार है जिनमें बीजों को कीटनाशक एवं फफूंद नाशक द्वारा उपचारित किया जाता है l नमी अधिक वाले स्थानों पर अनेक रोग जैसे स्मट, रॉट, झुलसा बीज को प्रभावित करते है l गेहूं में लूज स्मट और फ्लैग स्मट रोग से बचाव के लिए टेबुकोनाजोल 1 ग्राम/किलोग्राम बीज या बाविस्टिन 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचारित कर सकते है l बीज उपचार की प्रक्रिया ड्रम में की जाती है l गेहूं का जैविक बीज उपचार ट्राइकोडर्मा विरडी 4 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से कर सकते है, यह रस्ट रोग के संक्रमण को कम करने में सहायक होता है l
चावल की तरह गेहूं की फसल के लिए नर्सरी तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती है, गेहूं की सीधी बुवाई ही की जाती है l गेहूं के लिए खेत तैयार किया जाता है और बीज छिटक कर बोये जाते है l हालांकि, आजकल लाइन से लाइन बुवाई भी प्रचलन में है l
गेहूं के लिए भूमि की तैयारी में पहले दो बार जुताई लोहे के हल से फिर तीन बार कल्टीवेटर से करके भूमि को अच्छी तरह तैयार कर लें। अंतिम जुताई के दौरान गोबर की खाद 12 टन, जैव उर्वरक 5 किलो, ट्राइकोडर्मा 5 किलो और स्यूडोमोनास 5 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें l
गेहूं की खेती के लिए अच्छी संरचना एवं मध्यम जल धारण क्षमता वाली दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है l अत्यधिक सरंध्रता और अधिक जल निकास वाली मिट्टी का उपयोग करने से बचना बेहतर होता है l
गेहूं की खेती के लिए उदासीन प्रकृति वाली मिट्टी जिसका पीएच मान 6-7 होता है उपयुक्त मानी जाती है l इससे कम तथा अधिक पीएच मान वाली मिट्टी फसल की वृद्धि और उपज को प्रभावित करती है।
गेहूं एक कठिन फसल है जिसकी खेती सम्पूर्ण देश में की जाती है। यह देश की मुख्य फसल है, इसकी खेती से किसानों को अच्छा लाभ प्राप्त होता है।
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