चाय उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है l चाय की खेती के लिए भारत की जलवायु एवं स्थिति अनुकूल है l देश ने वर्ष 2020-21 में 27 मिलियन टन चाय का उत्पादन किया। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा चाय उपभोक्ता देश भी है। विभिन्न स्वाद वाली चाय की अनेक किस्में है, जहां चाय की जिस किस्म की खेती की जाती है उस जगह के अनुसार चाय का नाम दिया गया है l सबसे प्रसिद्ध चाय की किस्में असम, डार्जिलिंग और डुआर्स हैं। भारत के प्रमुख निर्यातक देश ईरान, यूएई, यूएसए, यूके, पोलैंड, कनाडा, सऊदी अरब, मिस्र, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, सिंगापुर, श्रीलंका, केन्या, जापान, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया आदि है।
कठिनाई स्तर: कठिन
प्रति वर्ष बाजार में अनेक देश की अनेक किस्में आती हैं। कुछ अत्यधिक प्रसिद्ध चाय के प्रकार हैं जिनकी खेती दशकों से की जाती रही है। प्रमुख लोकप्रिय किस्में पांडियन, सुंदरम, गोलकोंडा, जयराम, एवरग्रीन, अथे, ब्रुकलैंड, बीएसएस 1, बीएसएस 2, बीएसएस 3, बीएसएस 4 और बीएसएस 5 आदि हैं।
चाय का प्रवर्धन मुख्य रूप से ग्राफ्टिंग एवं कलम के माध्यम से किया जाता है l शुरुआती गर्मियों के महीने (अप्रैल-मई) के दौरान कलम तैयार की जाती है l इस तरह मातृ पौधे को सुषुप्तावस्था
से बहार निकलने एवं ग्राफ्टिंग को स्थिर करने के लिए अनुकूल स्थितियाँ भी होंगी। हीलिंग प्रक्रिया को तेज करने के लिए कभी-कभी चाय की कलमों को मॉस से बांध दिया जाता है।
चाय की खेती के लिए नर्सरी छाया क्षेत्र में शेड नेट से तैयार की जाती है l ग्राफ्टेड पौधों को नमी प्रदान करने के लिए पॉलिथीन तम्बू प्रदान किया जाता है। पौधरोपण पॉलिथीन की थैलियों में किया जाता है। पॉलिथीन की थैलियों को एमओपी, मैग्नीशियम सल्फेट और जिंक सल्फेट से भरें l पॉलिथीन की थैलियों में रेत, दोमट और कम्पोस्ट 1:1:3 के अनुपात में भरना चाहिए।
चाय की खेती के लिए पहाड़ियों को साफ किया जाता है, अवशेष को पूर्ण रूप से हटाया जाता है l भूमि की दो बार अच्छी तरह से जुताई करके 100 किलो/हेक्टेयर रॉक फास्फेट तथा N:K 2:3 के अनुपात में उपयोग करना चाहिए। प्राय अधिकांश चाय के बागान पहाड़ी क्षेत्रों में लगाये जाते हैं इसलिए खाद का उपयोग नहीं किया जाता है। चाय के ग्राफ्टेड स्टॉक से 90 से 100 दिनों के बाद जड़े निकलना शुरू हो जाती है। पौधों को मिट्टी से जुड़ी जड़ संरचना के साथ ही खेत में लगाया जाता है। पौध रोपण के विभिन्न तरीके हैं, जैसे सिंगल और डबल हेज सिस्टम।
चाय की खेती के लिए उच्च कार्बनिक पदार्थ वाली अम्लीय मिट्टी जिसका पीएच मान 4.5 से 5.5 के मध्य हो उचित मानी जाती है l लगभग 1000 – 2500 मीटर की ऊंचाई पर चाय की खेती उत्तम होती है। चाय की खेती के लिए इष्टतम तापमान 20 – 27 डिग्री सेल्सियस रहता है।
चाय एक बारहमासी फसलों में से एक है जिसे दोबारा लगाने की आवश्यकता नहीं होती है जब तक फसल क्षति ना हो l चाय एक लंबी अवधि की फसल है, दो साल बाद इसकी खेती फिर से शुरू की जा सकती है। चाय की पत्तियों का प्रसंस्करण किया जाता है। चाय की खेती करना कठिन है जिसकी खेती और प्रक्रिया में बहुत अधिक समय लगता है। हालाँकि, चाय की खेती इसकी पत्तियों के लिए की जाती है जिसे आसानी से उगाया जा सकता हैं।
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