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धान की खेती के लिए खेत की तैयारी

भारत ने वर्ष 2021-22 में अकेले खरीफ के मौसम में 111.76 मिलियन टन का उत्पादन कियाl भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। पिछले एक दशक से धान की फसल के उत्पादन में निरंतर वृद्धि हुई है। भारत में धान की खेती का सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो किसी भी अन्य कृषि फसल की तुलना में कहीं अधिक है। चावल का उत्पादन पूरे देश में होता हैl

कठिनाई स्तर:

कठिन

बीजों का चयन:

आज बाजार में चावल की 10,000 से अधिक किस्में उपलब्ध हैं। देश में खेती की जाने वाली चावल की प्रमुख किस्में बासमती, जोहा, ज्योति, नवारा, पोन्नी, पूसा, सोना मसूरी, जया, कालाजिरी (सुगंधित), बोली, पलक्कड़ मट्टा, कट्टामोडन, कैराली, भद्रा, आशा, केरल की रक्तशाली, रेड कवुनी, कैवारा सांबा, मपिल्लई सांबा, कुरुवी कर, और तमिलनाडु की पूंगर। अकेले पिछले वर्ष ही धान की 800 से अधिक किस्मों को पेश किया गया था। 

बीजों को पहले से भिगोना:

बीजों को पहले से भिगोने की दो विधियाँ हैं- सीड प्राइमिंग और अंकुरण से पहले भिगोना। सीड प्राइमिंग में बीजों को 4-8 घंटे के लिए भिगोया जाता है और बुवाई से पूर्व बीजों को फिर से सुखाया जाता है। अंकुरण पूर्व उपचार में बीजों को 12-24 घंटे तक पानी में डुबोकर रखा जाता है।

बीज उपचार:

  • धान का जैव बीज उपचार:-

धान में बीज उपचार के लिए कई विकल्प है l धान के बीज उपचार की जैविक और अजैविक दोनों विधियां है। धान के जैविक बीज उपचार के लिए एजोस्पिरिलम 600 ग्राम/हेक्टेयर या एजोफॉस 1200 ग्राम/ हेक्टेयर की दर से उपयोग कर सकते है l इस बायोइनोक्यूलेशन में बुवाई से पहले रात भर पर्याप्त मात्रा में पानी देना चाहिए। धान के लिए जैव नियंत्रक घटक जैव उर्वरक के अनुकूल होते हैं, इसलिए जैव उर्वरक और जैव नियंत्रक घटक को एक साथ मिलाया जा सकता है। स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस के साथ धान का बीज उपचार, स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस के टैल्क-आधारित सूत्रीकरण के साथ 10 ग्राम/किलो बीज को रात भर 1 लीटर पानी में भिगो कर करें। अतिरिक्त पानी को निथार दिया जाता है और बीजों को अंकुरित होने और फिर बोने के लिए 24 घंटे की अनुमति दी जाती है।

  • धान का रासायनिक बीज उपचार:-

कवकनाशी से धान के बीजों का उपचार करने के लिए 1 किलो बीजों के लिए 3 ग्राम/लीटर पानी से फफूंदनाशकों जैसे बेनलेट या मैंकोजेब या एराज़ोन रेड के साथ बीजों पर लेप कर उपचारित करें l बीज जनित रोगों से बचाव के लिए 1 किलो बीज के लिए 2 ग्राम/लीटर पानी में कार्बेन्डाजिम या पाइरोक्विलोन या ट्राइसाइक्लोजोल का घोल बनाकर बीज उपचारित कर सकते है l कार्बेन्डाजिम (बाविस्टिन) को 1 किलो बीज के लिए 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर लेपित किया जाता है। इसके बाद बीजों को 10 घंटे के लिए पानी में भिगो दिया जाता है और अतिरिक्त पानी निकाल दिया जाता है। इसे गीला बीज उपचार कहते है जो ब्लास्ट जैसी अन्य बीमारियों से 40 दिनों तक सुरक्षा प्रदान करता है। उपचारित बीजों को एक अंधेरी जगह में एक बोरी में भरकर रखें और अतिरिक्त बोरियों से ढक दें। अंकुरण के लिए बीजों को 24 घंटे तक बिना छेड़े छोड़ देना चाहिए। 

धान की खेती

धान के लिए नर्सरी बेड / क्यारी की तैयारी:

धान की नर्सरी / पौधशाला में क्यारी तैयार करने के लिए विभिन्न प्रकार की पद्धतियाँ अपनाई जाती हैं। यह गीली नर्सरी हैं। सीड बेड के चारों ओर 30 सेमी चौड़े चैनलों के साथ भूखंडों को 2.5 मीटर चौड़ाई पर चिह्नित किया जाता है। भूमि के ढलान के अनुसार क्यारी की लंबाई अलग-अलग हो सकती है।

नर्सरी में पानी की पर्याप्त आपूर्ति के साथ-साथ उचित जल निकासी भी होनी चाहिए। नर्सरी की दो बार सूखी जुताई करें और 1 टन गोबर खाद डालें। नर्सरी की फिर से एक बार जुताई करें और नर्सरी में पानी भर दें। पानी को दो दिनों तक भरे हुए रखें l इसके बाद खेत की पडलिंग कर देनी चाहिए। 

5-10 सेंमी ठहरे हुए पानी से खेत में पडलिंग करें। पडलिंग लोहे के पोखर से की जाती है। बेहतर पानी के अंत:स्त्रवण और मिट्टी को ढीला करने के लिए खेतों की विपरीत दिशाओं में पडलिंग करें। हाल ही में कुछ अपरंपरागत और अनोखी धान नर्सरी बेड तैयार करने की विधियां आई है जिनमे डिपोंग, मैट और ड्राई नर्सरी विधि शामिल हैं।

धान के लिए खेत की तैयारी:

धान की फसल के लिए काली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती हैं। यह दोमट मिट्टी या काली दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है।

  • मिट्टी का पीएच:

हल्की अम्लीय मिट्टी (पीएच 6)

  • धान के खेत की तैयारी (खेत रोपाई):

रोपाई से एक या दो दिन पहले खेतों में पानी भरकर धान के खेत को तैयार किया जाता है। अच्छी जुताई के लिए खेत को एक या दो बार जोता जाता है। अंतिम जुताई के दौरान 12.5 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट या हरी पत्ती की खाद 6.25 टन/हेक्टेयर की दर से डालें। रोपाई से दस दिन पहले 22 किग्रा/हेक्टेयर यूरिया का प्रयोग करें। रोपाई के समय खेत में कम से कम 2 – 2.5 सेमी पानी होना चाहिए।

निष्कर्ष:

धान एक ऐसी फसल है जिसके लिए बहुत अधिक देखभाल और रखरखाव की आवश्यकता होती है। यह खेती के लिए आसान फसल नहीं है। चावल, हालांकि, देश का सबसे प्रमुख भोजन है, इसलिए चावल की हमेशा बाजार में मांग रहती है।

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