विश्व में भारत का प्याज उत्पादन में दूसरा स्थान है l भारतीय प्याज वर्ष भर अपने तीखेपन के लिए लोकप्रिय हैं। इसी कारण भारतीय प्याज की बाजार में अधिक मांग रहती है l भारत ने वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 1,537,496.89 मीट्रिक टन ताजा प्याज का निर्यात किया था, जिसका कुल मूल्य 3,432.14 करोड़ रुपए था l विश्व के कुछ प्रमुख निर्यातक देश है – बांग्लादेश, मलेशिया, श्रीलंका, संयुक्त अरब ईएमटी, नेपाल और इंडोनेशिया आदि है l देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, तमिलनाडु, झारखंड एवं तेलंगाना हैं।
मध्यम
सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली प्याज की किस्म चयन करने के लिए बाजार में विभिन्न प्रकार की किस्में उपलब्ध हैं इनमें कुछ किस्में है – Co 1, Co 2, MDU 1, एग्रीफाउंड रोज, अर्का बिंदु, भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, भीमा सफेद, पूसा व्हाइट राउंड, अर्का योजिथ, पूसा व्हाइट फ्लैट, उदयपुर 102, फुले सफ़ेद, N25791, एग्रीफाउंड व्हाइट, फुले सुवर्णा, अर्का निकेतन, अर्का कीर्तिमान, भीमा सुपर, भीमा रेड, पंजाब सेलेक्शन, पूसा रेड, N2-4-1, पूसा माधवी, अर्का कल्याण और अर्का लालिमा इत्यादि।
बीज उपचार के पहले प्याज के हरे अंकुरों को पूरी तरह से काटकर अलग कर दिया जाता है l कंदों को बुवाई से पूर्व 5-10 मिनट के लिए बाविस्टिन या डायथेन एम 45 @ 2 ग्राम/लीटर पानी की दर से उपचारित किया जाता है। यह मृदा जनित रोगजनकों से बल्बों के संक्रमण को रोकने में मदद करता है l
बीजों को थायरम 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित किया जाता है। बीज उपचार के दो दिन बाद ट्राइकोडर्मा विरडी 1.25 किलोग्राम / हेक्टेयर की दर से बीज उपचारित किया जाता है l इससे अंकुर जड़ गलन की समस्या से बच जाता है साथ ही स्वस्थ पौध भी प्राप्त होता है l
प्याज की एक हेक्टेयर खेती के लिए लगभग 5-7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। प्याज के लिए आदर्श नर्सरी का आकार लगभग 6 से 7 वर्ग फुट माना जाता है। भूमि की कम से कम 5-6 जुताई की जाती है जिससे मिट्टी में से सभी प्रकार के फसल अवशेष खत्म हो जाते है l मृदा में 500 किलोग्राम गोबर की खाद मिलाई जाती है एवं ऊँची उठी हुई क्यारियाँ बनाई जाती हैं। क्यारियों की लंबाई 1.2 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर एवं ऊंचाई 10-15 सेमी होनी चाहिए l दो क्यारियों के मध्य का अंतराल 30 सेमी होता है l बीज बुवाई 50 मिमी से 75 मिमी की पंक्तियों में की जाती है l इसके बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें l खरीफ के मौसम में पौध बुवाई के 35-40 दिनों के बाद एवं पछेती खरीफ और रबी के मौसम में पौध बुवाई के 45-50 दिनों के बाद पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है l
भूमि की तैयारी के लिए तीन से चार बार अच्छी तरह से जुताई की आवश्यकता होती है l आखिरी जुताई के समय 20 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें l रोपाई के लिए 20 सेंटीमीटर की दूरी पर मेड़ और खांचे तैयार किये जाते हैं एवं यूरिया 26 किलो, एसएसपी 144 किलो व पोटाश 19 किलो मिट्टी में मिलाया जाता है l रोपाई को आसान बनाने के लिए खेत सिंचाई के बाद उपचारित कंद लगाए जाते हैं।
प्याज की खेती संपूर्ण देश में की जाती है l प्याज को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है फिर भी दोमट एवं चिकनी दोमट मिट्टी प्याज की खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है l
प्याज की खेती के लिए न्यूट्रल / उदासीन पीएच मान वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
प्याज एक कठोर स्वभाव वाली फसल है जिसकी खेती कहीं भी कभी भी की जा सकती है। प्याज को अन्य फसलों की तुलना में, लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है और बाजार में बेचा जा सकता है।
प्याज की खेती के लिए उपयुक्त बीज दर – एक एकड़ भूमि के लिए लगभग 2 – 3 किलोग्राम बीज आवश्यक है।
2. प्याज की सबसे लोकप्रिय किस्में कौन सी हैं?
3. प्याज की रोपाई का उपयुक्त समय क्या है?
प्याज की रोपाई का उपयुक्त समय इस प्रकार है –
खरीफ मौसम में बुवाई के 35-40 दिन बाद और देर से खरीफ और रबी मौसम में 45-50 दिन बाद रोपाई के लिए अंकुर तैयार हो जाते हैं।
4. प्याज की खेती के लिए उर्वरक की अनुशंसित मात्रा क्या है?
प्याज की खेती के लिए उरवर्क की सामान्य अनुशंसित मात्रा 38:14:22 किग्रा/एकड़ है। यदि आप प्याज की खेती कर रहे हैं, तो आप अपने क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली उर्वरकों की व्यावसायिक मात्रा नीचे दी गयी तालिका के अनुसार कर सकते हैं –
पोषक तत्व | उरवर्क | सामान्य मात्रा ( प्रति एकड़) |
जैविक | FYM | 6 टन |
नाईट्रोजन (N) | यूरिया / अमोनियम सल्फेट | 83 किलोग्राम / 78 किलोग्राम |
फ़ास्फ़रोस (P) | सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) डबल सुपर फॉस्फेट (DSP) | 89 किलोग्राम 44 किलोग्राम |
पोटेसियम (K) | म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (MOP) सल्फेट ऑफ़ पोटाश (SOP) | 37 किलोग्राम 45 किलोग्राम |
ज़िंक ( ZN) ((जिंक की कमी वाली मृदा के लिए)) | आनंद एग्रो इंस्टा चील जिंक 12% सूक्ष्म पोषक तत्व | पत्तियों पर पानी का छिड़काव: 0.5 -1 ग्राम/लीटर। मिट्टी में प्रयोग: 10 किग्रा। |
बोरोन | ऑलबोर- बोरॉन 20% | पत्तों पर स्प्रे: 1 ग्राम/लीटर पानी |
बल्ब उपचार: बुवाई से पहले प्याज के बल्बों को बाविस्टिन (या) डाइथेन एम45 (मैनकोजेब 75% डब्ल्यूपी) 2 – 2.5 ग्राम/लीटर पानी के साथ 5 – 10 मिनट के लिए उपचारित करें। इससे बल्बों को मिट्टी जनित रोगजनकों से संक्रमण से बचाने में मदद मिलेगी।
बीज उपचार: बीजों को वीटावैक्स पाउडर (कार्बोक्सिन 37.5% + थीरम 37.5% डीएस) से 3 ग्राम/किलो बीज प्रति एकड़ के हिसाब से उपचारित करें या बीएसीएफ ट्राइडेंट (ट्राइकोडर्मा विराइड 1.5% डब्ल्यूपी) 4 ग्राम/किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें। नमी को दूर करने का प्रबंधन करें और स्वस्थ पौध उगाएं।
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