मक्का या जिया मेज विश्व की सबसे बहुउपयोगी फसल है। भारत विश्व में मक्का का 7 वां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। अकेले वर्ष 2021-22 में देश ने विश्व में 3,690,469.12 मीट्रिक टन मक्का का निर्यात किया है, जिसकी कीमत रु. 7,615.46 करोड़ है। भारत के प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु है। अपनी बहुउपयोगी प्रकृति के कारण, मक्का एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है जो गैर-पारंपरिक क्षेत्रों जैसे जम्मू और कश्मीर और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में उगाई जाती है।
(मध्यम)
आज बाजार में मक्का की 3000 से अधिक किस्में उपलब्ध हैं। लोकप्रिय किस्में जो आजकल उगाई जाती हैं, वे हैं एम्ब्रोसिया हाइब्रिड कॉर्न, जुबली हाइब्रिड कॉर्न, हनी सलेक्ट हाइब्रिड कॉर्न, गोल्डन बैंटम कॉर्न, पायनियर (P3396 और P3344), डेकाल्ब (DKC 9178 और DKC 9081), सिंजेन्टा (NK7328 और NK30), CP (818 और 333), टाटा सीड्स (DMH 8255), एडवांटा (हाय-ब्रिक्स 53), कावेरी सीड्स (KMH 1411) और हाईटेक सोना – 5101
अच्छे अंकुरण के लिए बीजों को रात भर भिगोने की आवश्यकता होती है। क्योंकि मक्का के बीज संरक्षण के उद्देश्य से सिकुड़े हुए होते है।
दीमक और अन्य मृदा जनित कीटों से बचाव के लिए बीजों को इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस एल 4 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित किया जाता है। बीज जनित रोगों के नियंत्रण के लिए मक्का के बीजों को कार्बेन्डाजिम या थायरम 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें। बीज उपचार से बीज जनित रोगों जैसे कंडुआ, डाऊनी मिल्ड्यू , चारकोल रोट आदि रोगों से बचाव होता है। उपचार के बाद बीजों को 15 मिनट के लिए छाया में सुखा लें और फिर बाद में बुवाई के लिए उपयोग में लें l
मक्का के उच्च उत्पादन के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई लाल मिट्टी या काली मिट्टी उपयुक्त होती है।
मक्का, अपनी मजबूत प्रकृति के कारण, किस्म के आधार पर 5.5 से 7.5 के बीच किसी भी पीएच मान वाली मिट्टी में बहुत अच्छी तरह से उगाई जा सकती है। मक्का की खेती के लिए इष्टतम पीएच मान 6 से 6.5 है।
मक्का के लिए भूमि की तैयारी में अच्छी निराई की जरूरत होती है। पिछले फसल उत्पादन के अवशेष के साथ सभी खरपतवारों को पूरी तरह से हटाना बेहद जरूरी है l 12.5 टन/एकड़ गोबर की खाद या कंपोस्ट कॉयर पिथ और एजोस्पिरिलम के 10 पैकेट खेत में डालें और जमीन की पाँच से छह बार अच्छे से जुताई करें। इसके बाद 45 सेंटीमीटर की दूरी पर मेड़ और खांचे तैयार करें । मेड़ और खांचे सिंचाई के पानी को बचाने में मदद करते है।
पारंपरिक रूप से मक्का की बुवाई सीधे खेत में की जाती है। बीजों की बुवाई नीचे से मेड़ के एक तिहाई भाग पर की जाती है l
मक्का एक मजबूत फसल है जो देश में कहीं भी उगाई जा सकती है। मक्का को इसकी उच्च मांग के कारण कम रखरखाव और उच्च प्रतिफल की भी आवश्यकता होती है। चावल और गन्ना जैसी अन्य नकदी फसलों के विपरीत, मक्का को काफी कम मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। कम प्रयास में उच्च प्रतिफल के साथ निश्चित रूप से मक्का की खेती के लिए सिफारिश की जा सकती है l
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