आइए पोषक तत्वों से भरपूर समुद्री आधारित चमत्कार, कार्बन मैक्स के फायदों के बारे में जानें। यह उत्पाद पौधों को पोषण देता है, मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारता है और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है। यह पौधों को तेजी से बढ़ने, हरी-भरी पत्तियां और मजबूत जड़ें विकसित करने में मदद करता है। कार्बन मैक्स मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों को बढ़ाता है, जिससे पौधों की पर्णहरिम, चीनी और अमीनो अम्ल उत्पादन क्षमता बढ़ती है। यह उत्पाद उपज और गुणवत्ता दोनों को बेहतर बनाता है।
मिट्टी को समृद्ध करने के साथ यह केंचुओं और सूक्ष्मजीवों के लिए भोजन का स्रोत बनता है, जिससे मिट्टी अधिक उपजाऊ होती है।
मिर्च भारत की प्रमुख मसाला फसलों में से एक है, और भारत दुनिया में मिर्च उत्पादन में लगभग 40% का योगदान करता है।
भारत में आंध्र प्रदेश मिर्च उत्पादन में अग्रणी राज्य है। मिर्च का इस्तेमाल कई व्यंजनों में होता है। इसमें पाए जाने वाले यौगिक कैप्साइसिन और संबंधित कैप्साइसिनोइड्स इसे तीखा स्वाद देते हैं।
मिर्च के बेहतर उत्पादन के लिए संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन बेहद जरूरी है। इसमें सही उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता और पोषण तत्वों की मात्रा में सुधार होता है, जिससे अधिक उपज और उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
वानस्पतिक अवस्था में पौधा मजबूत तनों और पत्तियों का विकास करता है। इस समय पौधे के पोषण और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को बढ़ावा देना सबसे जरूरी होता है।
पौधे इस चरण में फूल और फलों के विकास के लिए ऊर्जा और पोषण को संग्रहित करते हैं।
टपक सिंचाई में 1-2 लीटर प्रति एकड़ कार्बन मैक्स का उपयोग करें।
पुष्पन अवस्था मिर्च के पौधे के प्रजनन के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान पौधे पर छोटे सफेद फूल उगते हैं, जो स्व-परागण करते हैं।
इस चरण में पौधे को संतुलित पोषण, उचित सिंचाई और अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है।
टपक सिंचाई में 1-2 लीटर प्रति एकड़ कार्बन मैक्स का उपयोग करें।
इस चरण में मिर्च का परिपक्व विकास होता है। फल छोटे और हरे होते हैं, जो धीरे-धीरे परिपक्व होकर रंग बदलते हैं।
पौधों को संतुलित पोषण और पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। इस दौरान कीटों और बीमारियों की निगरानी भी बेहद जरूरी होती है।
टपक सिंचाई में 1-2 लीटर प्रति एकड़ कार्बन मैक्स का उपयोग करें।
सोयाबीन को उच्च प्रोटीन और तेल सामग्री के कारण “गोल्डन बीन” कहा जाता है।
इसकी खेती भारत के विभिन्न राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में की जाती है।
इस चरण में पौधे का ध्यान जड़ों और पत्तियों के विकास पर केंद्रित रहता है।
यह चरण पौधे की सेहत और प्रकाश संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है।
टपक सिंचाई में 1-2 लीटर प्रति एकड़ कार्बन मैक्स का उपयोग करें।
पुष्पन अवस्था में पौधे के फूल और फली बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
इस दौरान पोषण और पानी की सही मात्रा फली सेटिंग को बेहतर बनाती है।
टपक सिंचाई में 1-2 लीटर प्रति एकड़ कार्बन मैक्स का उपयोग करें।
इस चरण में पौधे के बीज और फल पूरी तरह विकसित होते हैं।
बीज की गुणवत्ता और उपज बढ़ाने के लिए सही पोषण और सिंचाई की जरूरत होती है।
टपक सिंचाई में 1-2 लीटर प्रति एकड़ कार्बन मैक्स का उपयोग करें।
जनाथा कार्बन मैक्स मिर्च और सोयाबीन की फसलों के लिए बेहद उपयोगी उत्पाद है।
यह हर चरण में पौधों की सेहत और उपज को बेहतर बनाता है।
संतुलित पोषण और बार-बार उपयोग से उच्च गुणवत्ता और बेहतर उत्पादन सुनिश्चित होता है।
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