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मिर्च की फसल में कटवर्म (कर्तनकीट) का प्रबंधन​

वैज्ञानिकों द्वारा मिली रिपोर्ट्स के अनुसार हर साल जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण प्रदूषण की वजह से खेतों में कीट – पतंगों की संख्या बढ़ती जा रही है, इस कारण फसलों में कीट – पतंगों का प्रकोप दिनों दिन बढ़ रहा है और इसके फलस्वरूप फसलों के उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ रहा है। ऐसा ही नजारा मिर्च की फसलों पर कटवर्म (कर्तनकीट)  का देखने को मिल रहा है। जिससे मिर्च की फसलों का उत्पादन घट रहा है और किसानों को अपनी फसल से अच्छा मुनाफा भी नहीं मिल पा रहा है। किसान इसके प्रबंधन के लिए निम्न प्रकार के कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि संतुलित मात्रा से ज्यादा कीटनाशकों का प्रयोग आपकी फसल और आपकी सेहत के लिए कितना हानिकारक साबित हो सकता है ? इसलिए किसानों की सहूलियत के लिए आज जानेंगे मिर्च की फसल में कटवर्म कीट के प्रबंधन के बारे में।

मिर्च की फसल में कटवर्म (कर्तन कीट ) के लक्षण​:

  • कटवर्म (कर्तनकीट) की अधिकांश प्रजातियाँ मिट्टी के अंदर पायी जाती हैं। यह ज्यादातर जड़ों और तनों पर आक्रमण करती हैं तथा पत्तियों और/फलों को भी खा जाती हैं। ​
  • कटवर्म के लार्वा, नये अंकुरों को या मिट्टी की सतह पर रोपाई किये हुए नये पौधों को खा जाते हैं। ​
  • यह मुख्य रूप से नये पौधों की जड़ों और पत्तियों को खाते हैं।
  • ​गर्मियों के दौरान या जब अंकुरक बड़े हो जाते हैं, तो कटवर्म पौधों के शीर्ष भागों पर रेंगते हुए पाये जाते हैं और उनको नुकसान पहुंचाते हैं, मुख्य रूप से पत्तियों को खाते हैं।​
  • कटवर्म आमतौर पर रात में आक्रमण करते हैं और पौधों पर आसानी से नहीं देखे जा सकते हैं। ​

मिर्च की फसल में कटवर्म (कर्तन कीट ) का प्रबंधन

  • इसके नियंत्रण के लिए मुख्य फसल को बोने से पूर्व पहली फसल के अवशेषों को अच्छी तरह से नष्ट कर दें। ​
  • बीज बोने (रोपण) से पूर्व खेत के आसपास के सभी प्रकार के खरपतवारों को पूरी तरह से साफ कर लें। ​
  • रोपाई को कुछ समय के लिए रोक दें ताकि कटवर्म को खाद्य न मिले, खासकर वसंत ऋतु या पतझड़ के समय जब कीट अंडे से निकलते हैं। ​
  • कटवर्म जीवित खरपतवार के साथ साथ मृत खरपतवारों पर भी अपना आश्रय कर लेते हैं। ​
  • रोपण से कम से कम 2 सप्ताह पहले जमीन को गहराई तक जोतने से और मिट्टी का धूप से संपर्क होने से मिट्टी के अंदर मौजूद लार्वा और प्यूपा बाहर निकल आते हैं और नष्ट हो जाते हैं। ​
  • हो सके तो लार्वा को रात में फ़्लैश लाइट का इस्तेमाल करके ढूंढकर निकल दें और उन्हें नष्ट करने के लिए साबुन के पानी में डुबोएं। ​
  • फेरोमोन ट्रैप या ब्लैक लाइट ट्रैप का उपयोग करके कटवर्म की अधिकांश प्रजातियों की निगरानी की जा सकती है।

रासायनिक प्रबंधन:

1. ईएम – 1 ​कीटनाशक

  • यह एमामेक्टिन समूह का एक आधुनिक कीटनाशक है।
  • यह बहुउद्देश्यीय विश्व प्रसिद्ध घुलनशील दानेदार कीटनाशक​ है।
  • इसमें  इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG में होता है।

मात्रा: इसका प्रयोग  60-80 ग्राम /एकड़ ​की दर से करें। 

2. कोराजेन ​कीटनाशक

  • यह एक एंथ्रानिलिक डायमाइड ब्रॉड-स्पेक्ट्रम कीटनाशक है।
  • यह विशेष रूप से लेपिडोप्टेरा कीटों, और लार्वा पर सक्रिय होते हैं।
  • इसमें मुख्य रूप से रेनोक्सीपायर पदार्थ होता है।

मात्रा: इसका प्रयोग 60 मिलीग्राम/एकड़ ​की दर से करें। 

3. अलिका कीटनाशक

  • इसमें थियामेथोक्सम (12.6%) + लैम्ब्डासाइहलोथ्रिन (9.5%) ZC शामिल है।
  • यह संपर्क और आंतरायिक क्रिया के साथ ब्रॉड-स्पेक्ट्रम कीटनाशक है।
  • यह ​फसल पर अच्छा प्रभाव और फसल की वृद्धि, हरियाली को बढ़ावा देता है।

 मात्रा:  इसका प्रयोग 80 मिली / एकड़ या 0.5 मिली/ लीटर पानी ​के साथ करें। 

4. ऑल बाटा रॉयल लारवेंड कीटनाशक

  • यह 100% पौधे से प्राप्त समाधान है, यह गैर-खतरनाक, जैव घुलनशील समाधान है।
  • इसमें जीवित एंटोमोपैथोजेनिक नेमाटोड और परजीवी सूक्ष्म जीवों का संयोजन है।
  • यह लार्वा चरण से गुजरने वाले सभी कीटों के नियंत्रण में सहायक है।

मात्रा: इसका प्रयोग 2 मिली/ लीटर पानी के साथ करें। ​

निष्कर्ष:

मिर्च  की फसल को कटवर्म (कर्तन कीट ) कीट से बचाव के लिए हमने आपसे सही जानकरी साझा की है। हमें उम्मीद है की यह जानकारी आपके लिए मददगार साबित होगी। ऐसे ही फसलों से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारियां पाने के लिए बिगहाट के यू टयूब चैनल “बिगहाट टीवी हिंदी” की https://bit.ly/3VxaTt7  लिंक पर क्लिक करें एवं हमारे टोल फ्री नंबर 1800 3000 2434 पर मिस्ड कॉल करें।  

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