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गेहूँ की खेती: जानिए रोग और कीट नियंत्रण का अचूक उपाय

गेहूँ फसल भारत की सबसे महत्तपूर्ण खाद्यान्न फसल मानी जाती है। गेहूँ की खेती भारत के लगभग 13 प्रतिशत क्षेत्र में बड़े पैमाने पर की जाती है। अगर पुरे विश्व की बात करें तो करीब 55 प्रतिशत आबादी इसकी खेती करती है।   

चावल के बाद, गेहूं को भारत में दूसरी महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल के रूप दर्जा दिया जाता है। यह  देश के उत्तरी और दक्षिणी भागों में लाखों भारतीयों का मुख्य भोजन है। इसमें प्रोटीन, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते है। भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद विश्व में गेहूं का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और दुनिया के कुल गेहूं उत्पादन का 8.7% हिस्सा कवर करता है। इसकी खेती किसानों के लिए अधिक मुनाफेदार होती है, अगर आप भी गेहूं की खेती से अच्छा उत्पादन के साथ मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इस लेख में जानिए गेहूँ की खेती की संपूर्ण जानकारी विस्तार से। 

गेहूं की खेती के लिए जलवायु और तापमान:

गेहूं के बीज के आदर्श अंकुरण के लिए इष्टतम तापमान सीमा 20-25 डिग्री सेल्सियस होता है, हालांकि बीज तापमान 3.5 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच अंकुरित हो सकते हैं। बुवाई के तुरंत बाद बारिश से अंकुरण में बाधा आती है और अंकुर झुलसने को बढ़ावा मिलता है। 

 

गेहूं की खेती के लिए मृदा:

गेहूं के अच्छे विकास और वृद्धि के लिए दोमट या बलुई दोमट , अच्छी संरचना और मध्यम जल धारण क्षमता वाली मृदा उपयुक्त होती है।

गेहूं की खेती के लिए किस तरह करें भूमि की तैयारी:

  • इसकी खेती के लिए सबसे पहले मिटटी को भुरभुरा कर लें।
  • भूमि में किसी भी प्रकार की खरपतवार नहीं होनी चाहिए।
  • भूमि में नमी उचित मात्रा में होनी चाहिए।
  • खेत की पहली जुताई पाटा पलटने वाले हल से अच्छी तरह से करें।
  • जुताई के बाद खेत को समतल करें।

बुवाई का समय:

इसकी बुवाई के लिए उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से नवंबर के पहले सप्ताह तक है। किसान पछैती बुबाई भी कर सकते हैं। पछैती बुबाई हेतु बाजार में अनेक किस्में उपलब्ध हैं। 

पौधा रोपण दूरी :

इसकी खेती में फसल रोपण दूरी बहुत ही आवश्यक स्तर होता है। इसके लिए कतारों से कतारों के बीच की दूरी 20-22.5 सै.मी. होनी चाहिए एवं पौधे से पौधे की दुरी 10 सेमी रखनी चाहिए। 

बुवाई की विधि:

  • आमतौर पर गेहूं की बुवाई तीन विधियों द्वारा की जाती है जैसे प्रसारण विधि, सीड ड्रिल एवं डिबलिंग विधि।
  • इसमें बिजाई के लिए मौसम की परिस्थिति के अनुसार विधि का इस्तेमाल किया जाता है।

 बीज दर40 – 50 किलो प्रति एकड़

गेहूं की खेती

सिंचाई:

सिंचाई की संख्या बुवाई के बाद सिंचाई (दिनों में)
पहली सिंचाई 20-25 दिनों में
दूसरी सिंचाई 40-45 दिनों में
तीसरी सिंचाई

  

60-65 दिनों में
चौथी सिंचाई 80-85 दिनों में
पांचवी सिंचाई 100-105 दिनों में
छठी सिंचाई 115-120 दिनों में

 

  

कीट और नियंत्रण:

चेपा:   इसक कीट को नियंत्रण करने के लिए  50 मि.ली. प्रति लीटर नीम के घोल का इस्तेमाल करें साथ ही फसल में  थाइमैथोक्सम@80 ग्राम या इमीडाक्लोप्रिड 40-60 मि.ली. को 100 लीटर पानी में घोल तैयार करके प्रति एक एकड़ की दर घोल का छिड़काव करें। 

गेहूँ में लगने वाला रोग और नियंत्रण:

पीला रतुआ रोग:  इस  बीमारी के कारण गेहूँ की फसल की पैदावार में 5-30% तक कमी आ सकती है।  इस रोग के कारण पौधों की पत्तियों में बारीक़ पीले रंग की धारियाँ बन जाती हैं। ो इसके नियंत्रण के लिए  5-10 किलोग्राम सल्फर का छिड़काव प्रति एकड़ एवं  2 ग्राम मैनकोजेब प्रति लीटर, और  2 मि.ली. प्रोपीकोनाज़ोल (टिल्ट) 25 ई सी को 1 लीटर पानी में मिलाकर फसल में छिड़काव करें।  

निष्कर्ष:

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