तोरई की खेती करने वाले किसानों के लिए यह खबर बेहद ख़ास है। तोरई एक नगदी फसल के रूप में जानी जाती है। इसके पौधे बेल एवं लता के रूप में बढ़ते हैं, इस वजह से इसको लतादार सब्जियों की श्रेणी में रखा गया है। तोरई को विभिन्न – विभिन्न स्थानों पर अलग – अलग नामों से जाना जाता है जैसे तोरी, झिंग्गी और तुरई आदि। इसके पौधों में निकलने वाले फूल पीले रंग के होते है। इसमें फूल नर और मादा रूप में निकलते हैं, जिनके निकलने का समय भी अलग-अलग होता है। बारिश का मौसम तोरई की खेती के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। यदि आप भी तोरई की खेती से अच्छी उपज और लाभ कमाना चाहते हैं, तो इस लेख में जानें तोरई की खेती करने की सर्वोत्तम तकनीक।
तोरई की खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु उपयुक्त होती है, साथ ही इसकी खेती के लिए 25 – 37 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना जाता है।
तोरई की खेती के लिए उच्च कार्बनिक पदार्थो से युक्त व अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मृदा की आवश्यकता होती है। साथ ही मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7. 5 के बीच होना चाहिए।
जैसा कि यह गर्म और बरसात दोनों मौसम की फसल है, इसलिए इसकी की बुवाई का समय अलग – अलग होता है। ग्रीष्मकालीन फसल की बुवाई का समय जनवरी एवं बरसात के मौसम की फसल के लिए जुलाई माह उचित होता है।
बीज दर – सामान्य -2 किग्रा/हेक्टेयर और संकर -1 किग्रा/हेक्टेयर।
तोरई में प्रसार उसके बीज से किया जाता है। बीजों को बुबाई से पहले ट्राइकोडर्मा विराइड 4 ग्राम या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 10 ग्राम / किग्रा से उपचारित करें। यह करने से बीजों को मृदा जनित रोगों के आक्रमण से बचा सकते है।
तोरई फसल की सिंचाई आवश्यकतानुसार की जाती है। यदि इसके बीजों की रोपाई जुलाई के महीने में की गई है, तो इसमें पहली सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिए और अगली सिंचाई तीन से चार दिन के अंतराल में हल्की-हल्की करें, जिससे की खेत में नमी बनी रहे और बीजो का अंकुरण ठीक से हो सके। यदि बरसात समय – समय पर हो रही है तो फसल में नमी के अनुसार सिचाई करें। पानी का ठहराव न होने दें।
इसमें निम्न प्रकार के कीट लगने का खतरा रहता है जैसे भृंग, फल मक्खी और इल्लियाँ आदि को इनको नियंत्रण करने के लिए डाईक्लोरवोस 76% ईसी 6.5 मिली 10 लीटर पानी के साथ या ट्राइक्लोरोफोन 50% ईसी 1.0 मिली प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
चूर्णिल असिता(पाउडरी मिल्ड्यू ):
तकनीक रसायन – कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% WP
मात्रा – 2 ग्राम/ ली
तोरई की उन्नत किस्मो को बीज रोपाई के बाद कटाई के लिए तैयार होने में 70 से 80 दिन का समय लग जाता है। इसके फलो की तुड़ाई कच्ची अवस्था में की जाती हैै, जिसका इस्तेमाल सब्जी के रूप में करते है। यदि आप बीज के रूप में फसल प्राप्त करना चाहते है, तो उसके लिए आपको फल के पकने तक इंतजार करना होता है।
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