एक राष्ट्र एक उर्वरक योजना
फसल के अच्छे उत्पादन के लिए खाद का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि फसल को उचित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त हो सकें, लेकिन वर्तमान समय में खाद की बढ़ती कीमतों ने किसानों के लिए परेशानियां खड़ी कर दी है। ऐसे में किसानों के बीच होती खाद की किल्लत देख सरकार ने भी सख्त कदम उठाते हुए एहम फैसला लिया है।
दरअसल, देश के कुछ राज्यों में यूरिया खाद की किल्लत से किसान काफी परेशान हो रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ काला बाज़ारी की वजह से ऊँचे दामों में खाद की बिक्री भी जारी है जिससे खाद उचित मात्रा में किसानों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में सरकार ने खाद की परेशानी को दूर करने के लिए और किसानों को सिमित मात्रा में खाद उपलब्ध करवाने के लक्ष्य से “एक राष्ट्र एक उर्वरक” योजना को संचालित किया है।
बता दें इस योजना के अंतर्गत यूरिया, डीएपी, एमओपी और एनपीके एक ही “लोगो” के नाम से उपलब्ध होंगे। सरकार की तरफ से सभी फर्टिलाइजर कारखानों, स्टेट ट्रेडिंग कंपनियों एवं फर्टिलाइजर निर्यात करने वाली सभी कंपनियों को सभी खाद की बोरियों में एक ही लोगो का इस्तेमाल करने के निर्देश जारी किये गए हैं।
श्रेणी | टिप्पणी |
उद्देश्य | सभी उर्वरकों को एक ब्रांड नाम भारत के तहत लाना |
योजना के तहत | रसायन और उर्वरक मंत्रालय |
खाद की बोरियों पर होगा यह लोगो | इस योजना के तहत सब्सिडी द्वारा मिलने वाली खाद की बोरियों पर प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना का लोगो लगा रहेगा। |
एक राष्ट्र एक उर्वरक योजना कुछ महीनों से बन रही थी। भारत के रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने पहले ही अगस्त 2022 में कार्यान्वयन शुरू कर दिया था। पृष्ठभूमि के काम चल रहे हैं, और उर्वरक के हर ब्रांड को सामान्य नाम भारत के तहत आने में थोड़ा समय लगेगा। अभी हर जगह भ्रम की स्थिति हो सकती है, लेकिन वे सब जल्द ही दूर हो जाएंगे। यह योजना उर्वरक बाजार में कुछ ब्रांडों के एकाधिकार को तोड़ने में मदद करेगी।
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