हाल ही में केंद्रीय मंत्री त्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विश्व पर्यवरण दिवस के अवसर पर मिष्टी नामक योजना का शुभारंभ किया। जिसका उद्देश्य भारत की आर्द्रभूमि और मैंग्रोव (सदाबहार वन) को पुनर्जीवित और संरक्षित करना है, जो हरित भविष्य और हरित अर्थव्यवस्था के अभियान में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
मिष्टी योजना का उद्देश्य समुद्र तट के किनारे और नमक वाली भूमि पर मैंग्रोव वृक्षारोपण की सुविधा प्रदान करना है, जिससे इन मूल्यवान पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण और बहाली को बढ़ावा दिया जा सके। यह योजना मैंग्रोव वृक्षारोपण और उससे जुड़ी आजीविका गतिविधियों में रुचि रखने वाले व्यक्तियों, समुदायों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
यह विभिन्न सरकारी योजनाओं और पहल, जैसे कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस), प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) फंड और अन्य प्रासंगिक स्रोतों की ताकत और प्रावधानों का लाभ उठाता है।
मिष्टी के उद्देश्यों में मैंग्रोव संरक्षण और वृक्षारोपण के विभिन्न पहलुओं से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने को बढ़ावा देना शामिल है। ये उद्देश्य इस पर केंद्रित हैं:
मिष्टी मैंग्रोव संरक्षण, बहाली और टिकाऊ उपयोग के लिए व्यक्तियों और समुदायों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। योजना की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
मिष्टी योजना के कुछ प्रमुख लाभ हैं:
यह योजना उन लोगों के के लिए लाभकारी नहीं है जिनकी मैंग्रोव वाले तटीय क्षेत्रों तक पहुंच नहीं है।
मिष्टी एक विशेष योजना है, जो आजीविका और संरक्षण को स्थायी रूप से जोड़ता है। भारत के तटीय क्षेत्रों में जहां मैंग्रोव पाए जाते हैं, यह योजना एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।
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