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आईएआरआई ने सूखा सहिष्णु चने की नयी किस्म पूसा -जेजी-16 का आविष्कार किया

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), जिसे पूसा संस्थान के रूप में भी जाना जाता है ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जेएनकेवीवी) जबलपुर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर और आरआईएसएटी  पाटन केरु हैदराबाद के सहयोग से आईएआरआई ने सूखा सहिष्णु चने की नयी किस्म पूसा -जेजी-16 का आविष्कार किया l 

आईसीसी 4958 से सूखा सहिष्णु जीन को जीनोमिक प्रजनन विधियों द्वारा उपयोग करके मूल जीन -16 में  मिलाकर पूसा-जेजी 16 को बनाया है l  चने पर अखिल भारतीय सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यक्रम के तहत एक देशव्यापी मुहिम को चलाया गया जिसमें यह सत्यापित किया गया कि जी चने की यह किस्म सूखा सहिष्णु है यह किस्म सूखे के प्रति तनाव को सहन करके 2 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने की क्षमता रखती  है, यह किस्म उकठा रोग (फ्यूजेरियम विल्ट) एवं स्टंटिंग रोग के प्रति प्रतिरोधी है इसकी परिपक्वता अवधि 110 दिन होती है।

उकठा रोग (फ्यूजेरियम विल्ट):

पौधे में फ्यूजेरियम विल्ट कवक रोग फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम द्वारा होता है इस रोग के बीजाणु मिट्टी में रहते है आलू, टमाटर, बीन्स, खरबूजे, केला (केले की फसल में इसे पनामा विल्ट कहा जाता है) जैसी व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण फसले एवं अन्य फसलों की किस्मे भी इस रोग के कारण बहुत अधिक मात्रा में संक्रमित होती है फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम का बीजाणु बहुत समय तक मिट्टी में जीवित रहता है और 24 °C (75 °F) से अधिक मिट्टी का तापमान बढ़ने पर यह फसल को नुकसान पहुंचा सकता है l 

लक्षण:

  • संक्रमण की स्थिति में अंकुर, मुरझा जाते हैं और मर जाते हैं।
  • पौधे की ऊंचाई छोटी रह जाती है, पत्तियां हल्के हरे रंग से सुनहरे पीले रंग में बदल जाती है l पौधा नीचे से ऊपर की और सूखता चला जाता है एवं नीचे की तरफ झुक जाता है l
  • जड़ों एवं निचले तने के जाइलम संवहनी ऊतक पर काली धारियां होने से जड़ें सड़ने लगती है।

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