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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार जीएम कपास की खेती से शहद का उत्पादन घट रहा है। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है

डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने राज्यसभा में उठाये गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार जीएम कपास की खेती से शहद का उत्पादन घट रहा है। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है l  

गैर-ट्रांसजेनिक कपास किस्मों की तुलना में बीटी ट्रांसजेनिक कपास की किस्मों के उत्पादन से मधुमक्खियों, ब्रूडिंग, पराग मधुमक्खियों के समूहों में शहद की संख्या पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है यह निष्कर्ष 2018-2019 और 2019-2020 में किए गए गहन अध्ययनों के द्वारा निकला गया है l 

जीएम पौधे ऐसे पौधे जिनको जीन संशोधन के द्वारा विकसित किया जाता है जो आमतौर पर दूसरे अनुवांशिक  जीन से जुड़कर अधिक  उपज बीमारियों एवं सूखे के  प्रति सहिष्णु, खरपतवार के प्रति अधिक सहिष्णु, एवं  इनमे पोषक तत्वों की अधिक मात्रा वाली किस्मो को बनाते है l  

जीएम कपास:-

भारत में लगातार  बीस वर्षों से आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) कपास की खेती  की जा रही है बीटी मतलब बैसिलस थुरिंजिनिसिस एक प्रकार का बैक्टीरिया है ,बीटी कपास जिसमे बीटी के जीन होते हैं जो कपास के पौधे को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाने वाले बॉलवर्म से कपास की फसल की  रक्षा करने में  मदद करता है बीटी कपास की किस्मों ने  कृषि में कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग को कम कर दिया  है और  कपास की उपज को भी बहुत बढ़ाया है l  

इसमें एक बैक्टीरिया है जो बीटी कपास के पौधों को बॉलवर्म से बचाने में मदद करता है और इसलिए कीटनाशक के उपयोग को कम करता है और कपास के पौधे की उपज बढ़ाता है।

जीएम सरसों:

धारा मस्टर्ड हाइब्रिड (डीएमएच-11) (ट्रांसजेनिक किस्म)  हर्बिसाइड-टॉलरेंट (एचटी) सरसों की आनुवंशिक रूप से संशोधित किस्म है। इसमें दो मुख्य विदेशी जीन “बार्नेज और बार स्टार”  को शामिल किया गया  है, जिनको मिट्टी से बेसिलस एमिलोलिक्फेशियन्स जीवाणु के रूप में  अलग किए गए हैं। यह जीवाणु  व्यावसायिक सरसो की अधिक उपज देने वाली सरसों की किस्मों के प्रजनन में मदद करती है l

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