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जलीय कृषि और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की नई पहल

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन आईसीआरए के अंतर्गत आने  वाले  संस्थान नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर (एनआईसीआरए)  द्वारा अलग अलग राज्यों में किया गया जिस अध्ययन में आर्द्रभूमि (जलीय भूमि) में मत्स्य पालन आने वाली रुकावटों का अध्ययन भी शामिल है एवं  जलवायु परिवर्तन में  मत्स्य पालन की अनुकूलन क्षमता बढ़ाने के लिए और इस स्थिति में मछुवारो को क्या और किस प्रकार करना चाहिए इसकी  जागरूकता बढ़ाने के लिए भी कार्यक्रम चलाये जा रहे है l 

मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान,भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की सहायता से लचीली -जलवायु अर्थात जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों को समझने के लिए लगातार रूप से अनुसंधान करते हैं यह अनुसंधान मत्स्य पालन और जलीय कृषि को बढ़ावा देने में सहायता करते है आईसीआरए के अंतर्गत आने  वाले संस्थान नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर (एनआईसीआरए) द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अध्ययन में  निम्र मुख्य बातें शामिल हैं-

  • असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और केरल में आर्द्रभूमि (जलीय भूमि) में मात्स्यिकी उत्पादन को प्रभावित करने वाले  कारकों का मूल्यांकन।
  • भारत की प्रमुख नदी घाटियों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण l
  • जलवायु परिवर्तन के कारण मछलियो की उपज,संरचना, मछलियो को पकड़ने के तरीको ,मछलियों के वितरण, आदि पर प्रभाव।

समुद्री मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए एनआईसीआरए जलवायु परिवर्तन के मॉडल पर अध्ययन कर रही है जिसके द्वारा जलवायु परिवर्तन जैसी परिस्थिति में समुद्री मत्स्य पालन,मछली उत्पादन एवं मछली पकड़ने,में होने वाली परेशानियो एवं आर्द्रभूमि (जलीय भूमि) को चिन्हित करना,कार्बन पदचिह्न(अतिरिक्त गैसे),ब्लू कार्बन की क्षमता, समुद्र के अम्लीकरण और नयी प्रजातियो पर इसके प्रभाव एवं इसके प्रभाव के कम करने के लिए क्या प्रयास किये जाये इस पर अध्ययन कर रहे है l 

ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल और केरल के राज्यों में जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एवं मछुआरों को जलवायु परिवर्तन में किस प्रकार अनुकूलनशीलता के साथ कार्य करना चाहिए इसके लिए तैयार होने में मदद मिलेगी l 

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