- लोकसभा में केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश ने कपास के निर्यात के सवाल के लिखित जवाब में कहा की कपास का निर्यात वर्ष 2022-23 में 40 लाख गांठ तक पहुंचने की उम्मीद है फिर भी इन आकड़ो में कपास की उपलब्धता और बाजार मूल्यों में समानता एवं वैश्विक मांग के आधार पर भिन्नता हो सकती है। भारत में गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना तीन राज्य जिनकी कुल कपास उत्पादन में 65% हिस्सेदारी है l
- कपास के निर्यात के माध्यम से जूट और मेस्टा (जूट के सामान रेशा उत्पन्न करने वाला पौधा) के निर्यात एवं उत्पादन में वर्द्धि का रास्ता खुल रहा है इसलिए जूट और मेस्टा (जूट के सामान रेशा उत्पन्न करने वाला पौधा) उत्पादन सम्बंधित पिछले 5 वर्ष के आंकड़े इस प्रकार है l
वर्ष | 2018-19 | 2019-20 | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 |
मात्रा(गांठ की संख्या लाख में) | 72 | 68 | 60 | 90 | 95 |
(सूत्र: जूट सलाहकार बोर्ड / जूट विशेषज्ञ समिति)
तय किये गए लक्ष्य तक पहुँचने के लिए, भारत सरकार ने अलग-अलग नीतियों को लागू किया जो इस प्रकार है –
- जूट पैकेजिंग की निरंतरता को बनाए रखने के लिए सरकार ने 1987 के अधिनियम के अंतर्गत वस्तुओं की पैकेजिंग में जूट का उपयोग अनिवार्य रूप से करना।
- राष्ट्रीय जूट विकास कार्यक्रम (एनजेडीपी) को जूट क्षेत्र में सुधार करने और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, लागू करना l
- ऐसे किसानों को जो कच्चे जूट के उत्पादक है उनका समर्थन करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा।
- जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया एमएसपी पर किसानों से कच्चे जूट की खरीदी करता है ताकि किसान को फर्जी रूप से होने वाली गतिविधियों से बचा सके l
- सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर किये गए खाद्यान्नों का संग्रह किया गया, जिससे की पैकिंग सामग्री की मांग में वृद्धि हुई है। इसी वजह से जूट मिलों में जूट की उत्पादन क्षमता 26 लाख गांठ प्रति वर्ष से बढ़कर 28 लाख गांठ हो गई है।