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धरती एग्रो द्वारा दुनिया की पहली जीएमएस-आधारित लोबिया (लोबिया) हाइब्रिड किस्म को प्रस्तुत किया गया

रती एग्रो केमिकल्स ने पहला जेनेटिक मेल स्टेरिलिटी (जीएमएस) आधारित लोबिया की संकर किस्मे  और तीन लोबिया संकर को प्रस्तुत किया।

  • बुलबुला
  • शर्ली
  • पूर्वजा

इन किस्मों से पारंपरिक किस्मों की तुलना में दोगुना मुनाफा दिया इन किस्मों ने नियमित खरीफ सीजन में 10 प्रतिशत संकर किस्मों (हेटरोसिस) और ऑफ सीजन में 20-25 प्रतिशत तक संकर किस्मों (हेटरोसिस) के साथ किसानों को उल्लेखनीय उपज परिणाम दिए हैं।  

आनुवंशिक नर बांझपन (जीएमएस)-:

आनुवंशिक नर बांझपन, माइटोकॉन्ड्रियल जीन का परमाणु जीन के साथ संयोजन या केवल परमाणु जीन के संयोजन का परिणाम है। इस प्रकार की स्थिति में साइटोप्लाज्मिक पुरुष बांझपन (सीएमएस) और आनुवंशिक पुरुष बांझपन (जीएमएस) हो सकता है।

  • सीएमएस और जीएमएस का उपयोग विभिन्न फसलों के संकर बीजों के उत्पादन में किया जाता है, इसके द्वारा  प्रजनकों को संकर किस्मों (हेटरोसिस) से अधिक उपज का लाभ मिलता है ।
  • सीएमएस में,पुरुष विशिष्टता,और प्रजनन क्षमता को माइटोकॉन्ड्रियल और परमाणु जीन के बीच की परस्पर क्रिया के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
  • पर्यावरण के प्रति संवेदनशील जीएमएस (ईजीएमएस) म्यूटेंट के कारण एपीजेनेटिक गैर-कोडिंग आरएनए द्वारा नियंत्रण हो सकता है। इसके अलावा संकर बीजो के उपयोग से विभिन्न परिस्थितियों में बीजो की उर्वरता भी वापस आ सकती है इसी कारण संकर बीज नई किस्म के प्रजनन के लिए उपयोगी है l

लोबिया ही क्यों?

लोबिया प्रोटीन और कुछ महत्वपूर्ण तत्वों के मिश्रण का स्त्रोत है इसमें  मिट्टी में नाइट्रोज़न के  सुधार करने की क्षमता होती है और साथ ही यह  मिट्टी कार्बन की मात्रा को बढ़ाने में सहायता करता है  जिससे मिट्टी में सुधार होता है लोबिया की यह प्रकृति मिट्टी एवं पौधे के सुधार एवं संरक्षण के लिए उपयोग किये जाने वाले दूसरे कृषि उत्पादों के उपयोग को कम कर देता है  जो की अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते  है l लोबिया बेमौसमी खेती के लिए उपयुक्त फसल है इसकी खेती अधिक गर्म तापमान में करना उचित नहीं होता है संकर किस्मे सम्पूर्ण फसल की शरीर क्रिया में परिवर्तन करके लाभकारी जींस को बढ़ाने में बहुत सहायता करती है जिसके परिणाम स्वरूप पैदावार अधिक मिलती है ,रोग प्रतिरोधक विकास होता है ,फल की गुणवत्ता में सुधार होता है एवं वातावरण अनुकूल किस्मो का विकास होता है l

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