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बासमती चावल के लिए, देश में पहली बार एफएसएसएआई ने निर्धारित किए नियामक मानक

खाद्य और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए एफएसएसएआई ने बासमती चावल की पहचान के लिए मानक अधिसूचित किये है। यह मानक पहली बार भारत में अधिसूचित किए गए है जो 1 अगस्त, 2023 से लागू होंगे।

इस संशोधनों का उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि बासमती चावल अपनी किस्म के अनुसार सुगन्धित हो। इस संशोधन के अंतर्गत निम्न प्रकार के बासमती चावल आते हैं, जैसे भूरा बासमती चावल, मिल्ड बासमती चावल, उसना भूरा बासमती चावल और मिल्ड उसना बासमती चावल आदि ।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निर्धारित मानक:

  • बासमती चावल में प्राकृतिक महक वाली विशेषता होनी चाहिए।
  • कृत्रिम रंगों, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होना चाहिए।
  • गुणवत्ता मापदंडों में दाने का औसत आकार और पकाने के बाद उनका फैलाव, नमी , एमाइलोज सामग्री, यूरिक अम्ल, क्षतिग्रस्त अनाज और अन्य गैर-बासमती चावल आदि की उपस्थिति निर्धारित अनुपात के अनुसार होना चाहिए।

बासमती चावल की धरोहर:

‘बासमती चावल’ भारतीय उपमहाद्वीप में हिमालय की तलहटी में उगाई जाने वाली एक उच्च गुणवत्ता वाली चावल की किस्म है, जो विशेष रूप से अपने लंबे दाने, फूली हुई बनावट, अनूठी सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। विशेष भौगोलिक क्षेत्रों की कृषि-जलवायु परिस्थितियां जहां बासमती चावल की खेती की जाती है, चावल की कटाई एवं प्रसंस्करण की विधि भी बासमती चावल की विशिष्टता में योगदान करती है। अपनी अनूठी गुणवत्ता एवं विशेषताओं के कारण, चावल की बासमती किस्म, घरेलू और विश्व स्तर पर व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली किस्म है। अकेला भारत देश दुनिया की आपूर्ति का दो-तिहाई हिस्सा है। 

देश में विशेष रूप से बासमती चावल का उत्पादन करने वाले राज्य पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश है।

निष्कर्ष:

नया संशोधन विश्व स्तर और आंतरिक रूप से बासमती चावल की दशा और दिशा दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इससे उस धोखाधड़ी पर रोक लगेगी जो लोगों की नजरों में बासमती चावल की कीमत गिराने का काम करती थी।

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