आमतौर पर सभी किसान टमाटर की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए पौधों की बीज से लेकर उनके परिपक्व होने तक पूरी देखभाल करते हैं। हालाँकि, अत्यधिक देखभाल के बाद भी पौधों में कीटों और रोगों का हमला हो जाता है। खासकर वनस्पतिक अवस्था के दौरान कीटों का प्रकोप अधिक दिखाई देता है, जो किसानों की कड़ी मेहनत को कमजोर कर देते हैं। इसलिए अच्छी और गुणवत्ता पूर्ण फसल प्राप्त करने के लिए आज इस लेख में, टमाटर की फसल को प्रभावित करने वाले कीटों के बारे में जानेंगे एवं संक्रमण को नियंत्रित करने और रोकने के लिए प्रभावी उपायों पर भी जानकारी प्रदान करेंगे।
थ्रिप्स कीट:
लक्षण:
थ्रिप्स कीट का टमाटर उत्पादकों को अक्सर सामना करना पड़ता है। यह छोटे कीट आपके टमाटर के पौधों की नई पत्तियों को खाते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं।
नियंत्रण के उपाय:
- कॉन्फिडोर कीटनाशक (इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल) का 0.75-1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से प्रयोग करें।
- एक्टारा कीटनाशक (थियामेथोक्साम 25% डब्लूजी) 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
एफिड्स कीट:
लक्षण:
एफिड्स आमतौर पर अंकुर चरण से लेकर वनस्पतिक अवस्था तक टमाटर के पौधों को प्रभावित करते हैं। यह छोटे कीट कोमल पत्तियों के रस को चूसते हैं, जिससे उनका आकार ख़राब हो जाता है और विकास रुक जाता है।
नियंत्रण के उपाय:
- सेफिना कीटनाशक (एफिडोपाइरोपेन 50 जी/एल डीसी) का प्रयोग 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से करें।
- रोगोर कीटनाशक (डाइमेथोएट 30% ईसी) 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
माइट्स (मकड़ी)
लक्षण:
यह कीट पत्तियों जाले बनाकर पीले या सफेद धब्बे विकसित करते हैं, जिससे पौधे की वृद्धि रुक हो सकती है।
नियंत्रण के उपाय:
- फोस्टर कीटनाशक (साइफ्लुमेटोफेन 20% एससी) 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से उपयोग करें।
- कुनोइची मिटीसाइड (सायनोपाइराफेन 30%) का 0.3 से 0.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
सफ़ेद मक्खी:
लक्षण:
- सफेद मक्खियाँ टमाटर की पत्तियों से भी रस चूसती हैं।
- चूसने के परिणामस्वरूप पत्तियां विकृत एवं कुरूप हो जाती हैं।
नियंत्रण के उपाय:
- टाटा माणिक कीटनाशक (एसिटामिप्रिड 20% एसपी) 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से उपयोग करें।
- उलाला कीटनाशक (फ्लोनिकैमिड 50% डब्लूजी) 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
मिलीबग:
लक्षण:
मिलीबग रस चूसने वाले कीट होते हैं, जो टमाटर के पौधे से रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देते हैं। यह कीट एक शहद जैसा पदार्थ स्रावित करते हैं, पत्तियाँ पर इसके द्वारा स्रावित होने वाले शहद जैसे चिपचिपे पदार्थों से कालीफफुन्दी का विकास होता है।
नियंत्रण के उपाय:
उलाला कीटनाशक (फ्लोनिकैमिड 50% डब्लूजी) या सिवान्टो बायर कीटनाशक (फ्लुपाइराडिफ्यूरोन 17.09% एसएल) 0.5 से 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
नोट: वनस्पतिक अवस्था में कीटों को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय उपाय करना आपके टमाटर के पौधों की सफल वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। कीटों से होने वाले नुकसान के संकेतों के लिए नियमित रूप से अपने पौधों की निगरानी करें और अनुशंसित कीटनाशकों का तुरंत उपयोग करें। उत्पाद लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करना याद रखें और किसी भी कीटनाशक का उपयोग करते समय उचित सुरक्षा सावधानी बरतें।
निष्कर्ष:
टमाटर की सफल खेती के लिए वनस्पतिक अवस्था के दौरान प्रभावी कीट नियंत्रण महत्वपूर्ण है। इन सफल उपायों को लागू करके और सतर्क रहकर, आप अपनी टमाटर की फसल के स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को सुनिश्चित कर सकते हैं।