रेशम के कीटों द्वारा रेशम के धागे का उत्पादन किया जाता है और इस प्रक्रिया को ‘रेशमकीट पालन’ या सेरीकल्चर के नाम से जाना जाता है। रेशम की खेती वर्तामन में अन्य फसलों की खेती की तुलना में बहुमूल्य खेती मानी जाती है। बाजार में रेशम की उच्च कीमत और बढ़ती मांग की वजह से आज के समय में यह कृषि आधारित उद्योग बन कर सामने आ रहा है।
वहीँ सरकार भी रेशम की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई अहम् कदम उठा रही है। बता दें साल 2021 में भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय ने रेशम कीट पालन को प्रोत्साहित करने के लिए रेशम समग्र: रेशम उद्योग के विकास के लिए एकीकृत योजना – 2 को संचालित किया है। जिसका उद्देश्य रेशम की खेती करने वाले किसानों की आजीविका में सुधार करना और देश के रेशम उद्योग के विस्तार और विकास को बढ़ावा देना है।
वर्ग | टिप्पणियां |
योजना की कुल कार्यकाल अवधि | 2021-22 से 2025-26 |
के द्वारा लागू की गयी | केंद्रीय रेशम बोर्ड के माध्यम से कपड़ा मंत्रालय |
रेशम समग्र -1 की अवधि | 2017-18 से 2019-20 तक 3 वर्ष |
उद्देश्य | रेशम उत्पादन की विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से भारत में वंचित, गरीब और पिछड़े परिवारों को सशक्त बनाना। |
घटक |
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सहयोग |
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भारतीय रेशम ब्रांडों का प्रचार | राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में रेशम मार्क के गुणवत्ता प्रमाणन के माध्यम से।
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समर्थन | शहतूत, वन्या और पोस्ट कोकून सेक्टर |
अन्य योजनाओं के साथ क्रियान्वयन | महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के साथ अभिसरण पर आधारित। |
अन्य | बीज गुणवत्ता की निगरानी और हितधारकों के लाभ के लिए रेशम समग्र 2 योजना में निम्नलिखित दो प्रणालियाँ शामिल हैं,
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हाल ही में भारत से दूसरे देशों में कच्चे रेशम का निर्यात बढ़ाने के लिए रेशम समग्र-2 योजना ने सफलता हासिल की है।
कुल मिलाकर, रेशम समग्र-2 योजना का उद्देश्य भारतीय रेशम उद्योग के उत्पादन और विकास को बढ़ावा देते हुए रेशम किसानों के जीवन स्तर में सुधार करना है।
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