फसल के अच्छे उत्पादन के लिए खाद का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि फसल को उचित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त हो सकें, लेकिन वर्तमान समय में खाद की बढ़ती कीमतों ने किसानों के लिए परेशानियां खड़ी कर दी है। ऐसे में किसानों के बीच होती खाद की किल्लत देख सरकार ने भी सख्त कदम उठाते हुए एहम फैसला लिया है।
दरअसल, देश के कुछ राज्यों में यूरिया खाद की किल्लत से किसान काफी परेशान हो रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ काला बाज़ारी की वजह से ऊँचे दामों में खाद की बिक्री भी जारी है जिससे खाद उचित मात्रा में किसानों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में सरकार ने खाद की परेशानी को दूर करने के लिए और किसानों को सिमित मात्रा में खाद उपलब्ध करवाने के लक्ष्य से “एक राष्ट्र एक उर्वरक” योजना को संचालित किया है।
बता दें इस योजना के अंतर्गत यूरिया, डीएपी, एमओपी और एनपीके एक ही “लोगो” के नाम से उपलब्ध होंगे। सरकार की तरफ से सभी फर्टिलाइजर कारखानों, स्टेट ट्रेडिंग कंपनियों एवं फर्टिलाइजर निर्यात करने वाली सभी कंपनियों को सभी खाद की बोरियों में एक ही लोगो का इस्तेमाल करने के निर्देश जारी किये गए हैं।
योजना विवरण:
- योजना का नाम: एक राष्ट्र एक उर्वरक योजना
- योजना संशोधित: 17.10.2022
- योजना निधि आवंटित: लागू नहीं
- सरकारी योजना का प्रकार: भारत केंद्र सरकार
- प्रायोजित / क्षेत्र योजना: प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना (पीएमबीजेपी)
- आवेदन करने के लिए वेबसाइट: लागू नहीं
- हेल्पलाइन नंबर: लागू नहीं
श्रेणी | टिप्पणी |
उद्देश्य | सभी उर्वरकों को एक ब्रांड नाम भारत के तहत लाना |
योजना के तहत | रसायन और उर्वरक मंत्रालय |
खाद की बोरियों पर होगा यह लोगो | इस योजना के तहत सब्सिडी द्वारा मिलने वाली खाद की बोरियों पर प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना का लोगो लगा रहेगा। |
लाभ:
- प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना का लोगो होने के कारण सभी बोरियों की पहचान एक जैसी होगी, जिससे किसानों को खाद की बोरी की पहचान करना आसान होगा।
- इस लोगो से यह पता चलेगा कि यह खाद सब्सिडी की है।
- साथ ही कालाबाज़ारी से किसानों को राहत मिलेगी।
- उचित दामों में असली खाद उपलब्ध होगी।
- सब्सिडी खाद की पहचान करना किसानों के लिए बहुत आसान होगा साथ ही यदि कोई इन बोरियों की कालाबाज़ारी करता मीलेगा तो उसको पकड़ना भी आसान रहेगा।
योजना की खामियां:
- इस परियोजना का मुख्य दोष यह है कि उर्वरक कंपनियां अब विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से अपने ब्रांड का प्रचार नहीं कर पाएंगी।
- योजना अनुबंध निर्माताओं और आयातकों को भी बढ़ावा देगी, इसलिए उर्वरक ब्रांडों को बाजार में बने रहने के लिए एक महत्वपूर्ण पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता होगी।
- एक अन्य मुख्य बिंदु यह है कि निम्न-गुणवत्ता वाले उर्वरक की जिम्मेदारी, जो निर्माताओं पर थी, अब सरकार पर आ सकती है। चूंकि उत्पाद अब भारत ब्रांड के तहत होंगे, इसलिए जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार पर होगी और निर्माताओं को दूर रखेगी। यह ऐसी स्थितियों से बचने और कंपनियों को और अधिक जवाबदेह बनाने के लिए योजना में और परिशोधन की मांग करता है।
इसे कैसे लागू किया जाएगा?
एक राष्ट्र एक उर्वरक योजना कुछ महीनों से बन रही थी। भारत के रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने पहले ही अगस्त 2022 में कार्यान्वयन शुरू कर दिया था। पृष्ठभूमि के काम चल रहे हैं, और उर्वरक के हर ब्रांड को सामान्य नाम भारत के तहत आने में थोड़ा समय लगेगा। अभी हर जगह भ्रम की स्थिति हो सकती है, लेकिन वे सब जल्द ही दूर हो जाएंगे। यह योजना उर्वरक बाजार में कुछ ब्रांडों के एकाधिकार को तोड़ने में मदद करेगी।
निष्कर्ष:
हमारे इस लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। किसान समुदाय को सशक्त बनाने एवं भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सही और उचित जानकारी पहुंचाने की हमारी पूरी कोशिश है। ऐसी ही खेती और कृषि ख़बरों को पढ़ने और जानने के लिए किसान वेदिका वेबसाइट लिंक https://kisanvedika.bighaat.com/ पर क्लिक करें।