विश्व में भारत ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक देश है। वर्ष 2021 में, अकेले उत्तर प्रदेश ने करीब 177 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन किया था। गन्ना एक बहुउपयोगी फसल है जिसका उपयोग शक्कर, गुड़ एवं कागज बनाने के लिए किया जाता है l देश में प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात तथा उड़ीसा हैं।
कठिनाई स्तर:
मध्यम
बीज चयन
गन्ने की खेती जलवायु स्थिति, पानी की उपलब्धता एवं उचित किस्मों के चयन पर निर्भर करती है। आजकल बाजार में गन्ने की मुख्यतः सभी किस्में उपलब्ध है l उनमें से कुछ प्रसिद्ध किस्में है – भीम, नयना, प्रभा, कल्याणी, भवानी, उत्तरा, सरयू, मोती, कृष्णा, रसीली, गंडक, प्रमोद, हरियाणा, राजभोग, रसभरी, श्यामा और श्वेता आदि । बाजार में उपलब्ध किस्मों में से नयना गन्ने की अत्यधिक मीठी किस्म है जिसके रस में शक्कर की मात्रा 20.1% सुक्रोज के रूप में होती है। किस्म नयना की उपज करीब 104 टन/हेक्टेयर है। नयना कंडुआ एवं लाल सड़न रोग के साथ सूखे के लिए भी प्रतिरोधी है एवं एक अच्छी रेटून फसल भी है l किस्म कल्याणी कंडुआ एवं लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधी है, साथ ही सूखे और जलभराव के प्रति सहिष्णु भी है।
बीज/ सेट उपचार
बीज उपचार शुरू करने से पहले बीज गन्ने को संभावित नुकसान से बचाने के लिए गन्ने पर लगी सूखी पत्तियों को हटाया जाना चाहिए l बीज गन्ने को सामान्यतः 30 से 40 सेंटीमीटर लंबे तीन आँख वाले सेट में काटा जाता है। बीज गन्ने को रोपाई से पूर्व 10 मिनट के लिए कार्बेन्डाजिम 0.1% (1 ग्राम/लीटर पानी) के 0.5 प्रतिशत घोल या ऐरेटोन और एगलोल 4 ग्राम/लीटर पानी की दर से बीज को डुबोकर उपचारित किया जाता है। बीज गन्ने को गर्म हवा (50ºC) में 2-2.5 घंटे के लिए रखकर भी बीज को उपचारित किया जा सकता है। यह बीज जनित रोगजनकों को रोकने के लिए सबसे प्रभावी बीज उपचारों में से एक है।
गन्ने की खेती के लिए भूमि की तैयारी
गन्ने की खेती के लिए भूमि को 2 से 4 बार ट्रैक्टर चलित डिस्क हल या विक्ट्री हल से 50-60 सेंटीमीटर की गहराई तक जोत कर तैयार किया जाता है। इसके बाद भूमि को एक उथली जुताई के लिए 12-15 सेंटीमीटर की गहराई पर जोता जाता है एवं डिस्क हैरो या रोटावेटर की सहायता से ढेलों को महीम कर दिया जाता है। इससे सघन मिट्टी और बारीक और चिकनी हो जाती है l इसके बाद समतलीकरण किया जाना चाहिए जिससे फसल भी एक समान खड़ी रहे और सिंचाई भी बेहतर हो सके l भूमि का समतलीकरण ट्रैक्टर पर चलने वाले लेवलर से किया जा सकता है।
गोबर की खाद 12.5 टन या कम्पोस्ट 25 टन या फिल्टर प्रेस मड 37.5 टन/हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई से पहले खेत में मिलाएं l इसके ऊपर गन्ने के पुराने अवशेष और प्रेस मड 1:1 के रूप में उपयोग करें l इसके बाद रॉक फास्फेट, जिप्सम और यूरिया का 2:2:1 के अनुपात में उपयोग करें। इस मिश्रण में थोड़ी नमी बनाने के लिए गाय के गोबर का घोल या पानी मिला सकते हैं। फॉस्फोरस से वंचित या कमी वाली मिट्टी में 37.5 किग्रा/हेक्टेयर की दर से सुपरफॉस्फेट को फावड़े की मदद से खांचों के साथ लगाएं। पोषक तत्वों की कमी वाली मिट्टी में मुख्यतः जिंक और आयरन की कमी होती है, इसके लिए जिंक सल्फेट 37.5 किलो /हेक्टेयर और फेरस सल्फेट 100 किलो /हेक्टेयर की दर से उपयोग करें l बीज गन्ने को 30-45 सेमी के अंतराल में लगाया जाता है। रोपाई के तीसरे या चौथे दिन बाद सिंचाई की जाती है।
गन्ने के लिए आवश्यक मिट्टी
गन्ने की खेती के लिए उचित जल निकास वाली दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 के मध्य हो अर्थात उदासीन से थोड़ी क्षारीय प्रकृति वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है l
निष्कर्ष
गन्ने की खेती देश के सभी सिंचित भागों में की जा सकती है। सिंचाई की आवश्यकता के अलावा, गन्ना एक आसानी से उगाई जाने वाली फसल है जिसे बहुत अधिक रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती है। यह उच्च बाजार मांग के साथ अधिक लाभ देने वाली फसल है।