हाल ही में केंद्रीय मंत्री त्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विश्व पर्यवरण दिवस के अवसर पर मिष्टी नामक योजना का शुभारंभ किया। जिसका उद्देश्य भारत की आर्द्रभूमि और मैंग्रोव (सदाबहार वन) को पुनर्जीवित और संरक्षित करना है, जो हरित भविष्य और हरित अर्थव्यवस्था के अभियान में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
योजना अवलोकन:
- योजना का नाम: तटरेखा पर्यावासों और मूर्त आय के लिए मैंग्रोव पहल(MISHTI)
- मंत्रालय: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- योजना लांच वर्ष: साल 2023 (In Union Budget of FY 2023-24)
- अवधि: 5साल (वित्तीय वर्ष 2023-24 से)
- योजना का प्रकार: केंद्र सरकार
उद्देश्य:
मिष्टी योजना का उद्देश्य समुद्र तट के किनारे और नमक वाली भूमि पर मैंग्रोव वृक्षारोपण की सुविधा प्रदान करना है, जिससे इन मूल्यवान पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण और बहाली को बढ़ावा दिया जा सके। यह योजना मैंग्रोव वृक्षारोपण और उससे जुड़ी आजीविका गतिविधियों में रुचि रखने वाले व्यक्तियों, समुदायों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
यह विभिन्न सरकारी योजनाओं और पहल, जैसे कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस), प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) फंड और अन्य प्रासंगिक स्रोतों की ताकत और प्रावधानों का लाभ उठाता है।
मिष्टी के उद्देश्यों में मैंग्रोव संरक्षण और वृक्षारोपण के विभिन्न पहलुओं से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने को बढ़ावा देना शामिल है। ये उद्देश्य इस पर केंद्रित हैं:
- वृक्षारोपण विधियाँ: प्रभावी, अत्याधुनिक मैंग्रोव वृक्षारोपण विधियों पर ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने को प्रोत्साहित करना।
- संरक्षण के उपाय: मैंग्रोव संरक्षण में सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार को प्रोत्साहित करना। इसमें मौजूदा मैंग्रोव आवासों की रक्षा करने, वनों में पेड़ों की कटाई और प्रदूषण जैसे खतरों को कम करने और टिकाऊ प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
- मैंग्रोव वन प्रबंधन: प्रबंधन से संबंधित ज्ञान और अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
विशेषताएं:
मिष्टी मैंग्रोव संरक्षण, बहाली और टिकाऊ उपयोग के लिए व्यक्तियों और समुदायों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। योजना की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- शोरलाइन पर्यावास और मूर्त आय के लिए मैंग्रोव पहल (मिष्टी) एक परियोजना है, जो भारत में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और पुनर्जीवित करने का प्रयास करती है। मैंग्रोव तटीय समुदायों की आजीविका की रक्षा करने और चक्रवातों और बढ़ते समुद्र के स्तर से उत्पन्न जोखिमों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस योजना का लक्ष्य देश भर के नौ राज्यों में मैंग्रोव कवर को बहाल करना है। वित्तीय वर्ष 2024 से शुरू होकर अगले पांच वर्षों के दौरान 11 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 540 वर्ग किलोमीटर मैंग्रोव भूमि बड़े पैमाने पर विकसित की जाएगी।
- प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वच्छ और हरित ऊर्जा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया। पिछले नौ वर्षों में देश इस क्षेत्र में अविश्वसनीय रूप से आगे बढ़ा है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का समर्थन करने और इस प्रक्रिया में रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करने, मिट्टी और जल संसाधनों को संरक्षित करने के लिए मिशन ग्रीन हाइड्रोजन जैसे प्राकृतिक खेती तकनीकों और योजना की स्थापना की गई है।
लाभ:
मिष्टी योजना के कुछ प्रमुख लाभ हैं:
- मैंग्रोव आवासों के संरक्षण और बहाली को प्रोत्साहित करता है, जो तटीय पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य और जैव विविधता के लिए आवश्यक हैं।
- मैंग्रोव और संबंधित पारिस्थितिकी प्रणालियों के स्थायी उपयोग के माध्यम से स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ प्रदान करता है।
- विभिन्न प्रकार की आय-सृजन गतिविधियों के माध्यम से तटीय समुदायों की आजीविका का समर्थन करता है।
खामियां:
यह योजना उन लोगों के के लिए लाभकारी नहीं है जिनकी मैंग्रोव वाले तटीय क्षेत्रों तक पहुंच नहीं है।
निष्कर्ष:
मिष्टी एक विशेष योजना है, जो आजीविका और संरक्षण को स्थायी रूप से जोड़ता है। भारत के तटीय क्षेत्रों में जहां मैंग्रोव पाए जाते हैं, यह योजना एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।