इलायची को मसालों की रानी के नाम से जाना जाता है। भारत में, इलायची की उत्पत्ति पश्चिमी घाट में हुई थी। विश्व में इलायची सर्वाधिक कीमती मसालों में से एक है। विश्व में ग्वाटेमाला के बाद भारत इलायची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत लगभग 15,000 टन इलायची का निर्यात करता है। देश के प्रमुख इलायची उत्पादक राज्य केरल, तमिलनाडु एवं कर्नाटक है। इलायची बीज वाली सूखी फली है। यह एक बारहमासी फसल है। इलायची एक लंबी अवधि की फसल है जो खेत में कम से कम 5 साल तक खड़ी रहती है l खाद्य परिरक्षण में भी इलायची का उपयोग प्रमुख रूप से किया जाता है l
कठिनाई स्तर:
कठिन
बीज चयन:
इलायची अनेक प्रकार की होती है, उनमें से प्रमुख दो प्रकार है – श्रीलंका और एलेटेरिआ कार्डामोमम माटन एवं अन्य प्रकार मैसूर, मालाबार और वज़ुक्का हैं। इलायची की प्रसिद्ध संकर किस्में आई सी आर आई 1, 2, 3, टीडीके 4 और 11, पीवी 1, सीसीएस 1 मधुगिरी 1 और 2, एनसीसी 200, एमसीसी 12, 16 और 40, आरआर 1 आदि है l
बीज उपचार:
इलायची का प्रवर्धन सकर्स या कलम के माध्यम से किया जाता है। इलायची को बीजों के द्वारा भी प्रसारित किया जा सकता है। बुवाई से पहले बीजों को 20 मिनट के लिए सल्फ्यूरिक अम्ल या हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से उपचारित किया जाता है। उपचार के बाद बीजों को डिमिनरलाइज्ड पानी से धोया जाता है। फिर बीजों को छाया में सुखाकर बुवाई की जाती है।
नर्सरी बेड तैयार करना:
सकर्स को 1.8 मीटर x 0.6 मीटर (क्लोनल नर्सरी में 6800 पौधे/हेक्टेयर) की दूरी पर प्रसारित किया जाता है। आमतौर पर इलायची का प्रसार पॉलिथीन की थैलियों में किया जाता है। ऊपरी पंडाल लगाकर छाया में नर्सरी डाली जाती है। पौधों को 20 x 20 सेमी की पॉलिथीन की थैलियों में लगाया जाता है। इलायची की पौध 18-22 माह में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है l
भूमि की तैयारी:
इलायची की खेती के लिए भूमि तैयारी में सबसे पहले भूमि की तीन से चार बार अच्छी तरह जुताई की जाती है। आखिरी जुताई के समय अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 12 टन/हेक्टेयर एवं नाइट्रोजन: फॉस्फोरस: पोटाश 35:35:75 किग्रा/हेक्टेयर की दर से उपयोग करें l बुवाई के लिए 60 सेमी x 60 सेमी x 60 सेमी आकार के गड्ढे तैयार करें, इसके बाद खाद एवं ऊपर की निकली हुए मिट्टी से गड्ढे भर दे l इलायची एक वर्षा आधारित फसल है, फिर भी इलायची की सिंचाई स्प्रिंकलर के माध्यम से की जाती है। स्प्रिंकलर का उपयोग मुख्य रूप से गर्मियों के दौरान किया जाता है l अधिक आकार वाली किस्मों के लिए पौधों की दूरी 2.5 x 2.0 मीटर और बौनी किस्मों के लिए यह 2.0 x 1.5 मीटर रखी जाती है। मुख्य रूप से इलायची की खेती पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है l इसलिए ढलान वाले क्षेत्रों में कंटूर खेती की जाती है ।
इलायची की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी:
इलायची एक जंगली फसल है इसके लिए उचित जल निकास वाली वन दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इलायची की खेती 5.0 – 6.5 पीएच मान वाली अम्लीय मिट्टी में सबसे अच्छी होती है।
निष्कर्ष:
इलायची बहुमूल्य मसालों में से एक है। इलायची की खेती करना सरल नहीं है पर यह फसल श्रम और अन्य लागतों के लिए लाभ का वादा कर सकती है। इलायची की फसल को अधिक रखरखाव या सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। इलायची, एक स्थिर विकास अवस्था में होने के बाद अच्छा मुनाफा दे सकती है।