देश में टमाटर की 2000 से ज्यादा किस्मों की खेती की जा रही है। विश्व में भारत का टमाटर उत्पादन में दूसरा स्थान है l भारत ने अकेले वर्ष 2021 में लगभग 20.33 मिलियन टन टमाटर का उत्पादन किया था। टमाटर कोई सब्जी नहीं है, यह फल श्रेणी में आता है, एवं आगे इसे बेरी के रूप में बाँटा गया है। टमाटर एक ऐसी फसल है जिसे बिना कृषि क्षेत्र के भी कहीं भी उगाया जा सकता है। टमाटर सर्वाधिक लोकप्रिय बागवानी फसलों में से एक है। यह मूल्य संवर्धित फसल है, इससे टमाटर सॉस, जैम, अचार और धूप में सुखाकर तैयार किया जाता हैl
कठिनाई स्तर:
आसान
बीज चयन:
जैसा कि पहले वर्णन किया गया है, कि टमाटर की बुवाई के लिए किस्मों के चयन के लिए 1000 से अधिक किस्में उपलब्ध हैं। उनमें से कुछ प्रमुख किस्में है – वैशाली, रूपाली, रश्मी, रजनी, पूसा रूबी, पूसा अर्ली ड्वार्फ, पूसा 120, सीओ 1, सिओक्स, बेस्ट ऑफ ऑल, मार्गलोब, रोमा, पंजाब चुहरा, अर्का विकास, अर्का सौरभ, अर्का मेघाली, अमीश शामिल हैं। पेस्ट, बायलर पेस्ट, बल्गेरियाई ट्रायम्फ, कैरोल चीकोस बिग पेस्ट, ग्रैंडमा मैरी, बेल स्टार, बिग रेड पेस्ट, कैनेडियन लॉन्ग रेड, डेनाली, हंगेरियन इटैलियन, ओरोमा, फिलिस्तीनी, पैसन्ट, पोलिश पेस्ट, रेड सॉसेज, रोमा, सैन मार्ज़ानो इत्यादि।
बीज उपचार:
बीजों के अच्छे अंकुरण और फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए बुवाई से पूर्व टमाटर के बीजों को उपचारित करना बेहद जरूरी है। बुवाई से 24 घंटे पूर्व ट्राइकोडर्मा विरडी 4 ग्राम/किलो बीज या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित करना प्रभावी रहता हैl
नर्सरी बेड तैयार करना:
एक हेक्टेयर टमाटर की खेती के लिए 3 वर्ग फुट का नर्सरी क्षेत्र पर्याप्त रहता है l नर्सरी क्षेत्र को किनारों से कीट रोधी जाल से और 50% क्षेत्र को छायादार जाल से ढक देना चाहिए l एक मीटर चौड़ी और सुविधाजनक लंबाई रखकर ऊँची उठी हुई क्यारी बनाएं एवं 2 मीटर के अंतराल पर एचडीपीवी पाइप लगाएं। बरसात के महीनों के दौरान आगे की सुरक्षा के लिए पॉलिथीन शीट लगाएं l कीटाणुरहित कोकोपीट 300 किग्रा के साथ नीम केक 5 किलो, एजोस्पाइरिलम और फास्फो बैक्टीरिया प्रत्येक 1-1 किलो की दर से मिलाये l प्रो ट्रे को भरने के लिए कोकोपीट की जरूरत होती है, 23,334 पौध तैयार करने के लिए 98 सेल वाली 238 प्रो ट्रे की आवश्यकता होती है, जो एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए युग्मित पंक्ति प्रणाली में 90 x 60 x 60 सेमी की दूरी पर पौध रोपित करने के लिए पर्याप्त रहती हैl
उपचारित बीजों को प्रो ट्रे के अंदर एक सेल में एक बीज डालकर बुवाई करें l बुवाई के बाद बीज को कोकोपीट से ढक दें और ट्रे को एक के ऊपर एक करके रख दें l बीजों में अंकुरण शुरू होने तक पॉलीथीन की शीट से ढक कर रखें l छह दिनों के बाद, अंकुरित बीजों के साथ प्रो ट्रे को शेड नेट के अंदर उठी हुई क्यारियों पर अलग-अलग करके रखें। प्रत्येक दिन पानी का छिड़काव करें एवं बुवाई के 18 दिनों के बाद नाइट्रोजन : फॉस्फोरस : पोटाश 0.5% 19:19:19 को 5 ग्राम/लीटर पानी की दर से ड्रेंचिंग करें l
टमाटर के लिए भूमि की तैयारी:
भूमि की अच्छी तरह से जुताई कर लें। प्रारंभिक खाद के रूप में गोबर की खाद 25 टन/हेक्टेयर की दर से उपयोग करें और 60 सेमी के अंतराल पर मेड़ और खांचे बनाएं। अंतिम जुताई के समय एफ वाई एम डालें। एजोस्पिरिलम 2 किलो और फास्फो बैक्टीरिया 2 किलो 50 किलो FYM के साथ मिलाकर उपयोग में लें l बेहतर सिंचाई के लिए खेतों में ड्रिप पाइप बिछाने की सलाह दी जाती है। इस तरह पानी को आवश्यकता के अनुसार नियंत्रित किया जा सकता है। पूर्व-उद्भव शाकनाशी के रूप में पेंडीमेथालिन 1 किलो या फ्लुक्लोरालिन 1 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से फसल बुवाई से पांच दिन पहले छिड़काव कर सकते है, हालांकि यह अनिवार्य नहीं है। अब 28 दिन पुराने पौधों की रोपाई करें। रोपाई के एक सप्ताह बाद जो खाली स्थान रह गए हों उन्हें भर दें।
टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी :
टमाटर की फसल को कार्बनिक पदार्थों से भरपूर अच्छी मिट्टी की आवश्यकता होती है l टमाटर की खेती के लिए दोमट मिट्टी उदासीन प्रकृति की जिसका पीएच मान 6.5 – 7.5 के मध्य हो, उपयुक्त मानी जाती है l
निष्कर्ष:
संपूर्ण भारत में टमाटर की खेती की जाती है l यह सर्वाधिक कठिन फसलों में से एक है और इसे कम संभालने की जरूरत होती है।