थ्रिप्स (तेला) एवं माइट्स (मकड़ी) मिर्च की फसल के प्रमुख कीट है जो फसल को काफी नुकसान पहुंचाते है। फसल की उपज एवं गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए इन कीटों का प्रबंधन अति महत्वपूर्ण है। यह कीट मिर्च की फसल को अंकुर (सीडलिंग) अवस्था से लेकर प्रजनन अवस्था तक संक्रमित करते है। मकड़ी की अनेक प्रजातियों में पीली माइट मिर्च की फसल को अत्यधिक नुकसान पहुंचाती है। थ्रिप्स एवं मकड़ी कीट के वयस्क और निम्फ दोनों अवस्था पौधे की पत्तियों, टहनियों, कलियों और फलों से रस चूसकर मिर्च की फसल को नुकसान पहुंचाते है। यह कीट संक्रमित पौधों में ‘पत्ती मरोड़’ रोग का लक्षण पैदा करते है।
मकड़ी गर्म एवं शुष्क मौसम की स्थिति में पनपती है एवं फसल की फूल एवं फल बनने की अवस्था के दौरान गंभीर नुकसान पहुंचाती है। जबकि तैला का प्रकोप फसल के विकास की शुरुआती अवस्था में गंभीर रूप से होता है तथा इस कीट की क्षति से पौधे की फलों की संख्या और फलों के आकार में कमी आ सकती है। मिर्च की फसल में तैला एवं मकड़ी के प्रकोप से उपज में 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक की हानि हो सकती है एवं गंभीर प्रकोप की स्थिति में 60 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक का नुकसान हो सकता है। मिर्च की फसल में तैला एवं मकड़ी ‘लीफ कर्ल वायरस’ नामक रोग के प्रसार के लिए वाहक के रूप में भी काम करते है। यदि शुरुआती अवस्था में ही इन कीटों को नियंत्रित नहीं किया गया तो इनके प्रकोप से पूरी फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
मिर्च की फसल में तेला:
तैला का वैज्ञानिक नाम: स्किर्टोथ्रिप्स डॉर्सेलिस
मिर्च की फसल में तेला के प्रकोप के लक्षण:
- तैला पौधे की पत्तियों से रस चूसते है जिसके कारण पत्तियां सिकुड़ने और मुड़ने लगती है ।
- यह कीट मुख्यतः पत्तियों की निचली सतह पर रहते है।
- संक्रमित पौधे के पर्णवृन्त लंबे हो जाती है।
- यह कीट पत्ती की सतह को खुरचते है एवं उनमें “रजत या कांस्य उपस्थिति” का कारण बनते है l
- कीट से संक्रमित पौधे की कलियां मुरझा जाती है और बाद में नीचे गिर जाती है l
- कीट संक्रमण की शुरुआती अवस्था में पौधे का विकास रुक जाता है l
- गंभीर संक्रमण की स्थिति में, फूल उत्पादन एवं फल सेट रुक जाता है l
- तैला पौधे में विकसित हो रहे फलों को खाते है और सतह पर छोटे हल्के भूरे निशान छोड़ जाते है l
मिर्च की फसल में तेला को नियंत्रित करने के लिए निवारक उपाय:
- मिर्च की फसल को मक्का या ज्वार की फसल के साथ अंतरफसल करने से मिर्च को छाया मिलती है जिससे थ्रिप्स की वृद्धि कम होती है।
- ज्वार की खेती के बाद मिर्च की खेती करने से बचें क्योंकि यह तैला के संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील स्थिति पैदा करता है।
- तेला के प्रकोप को कम करने के लिए मिर्च और प्याज की मिश्रित फसल न लगाएं l
- तेला की वृद्धि को कम करने के लिए पौधों के ऊपर पानी का छिड़काव करें l
- अत्यधिक संक्रामक मिर्च के पौधों को खेत से निकाल दें l
- नीले और पीले रंग के स्टिकी ट्रैप लगाने से थ्रिप्स को बड़े पैमाने पर फंसाने में मदद मिल सकती है।
- फसल में होने वाले नुकसान को सीमित करने के लिए नीम के तेल का छिड़काव करें।
- गेंदा और सूरजमुखी जैसी ट्रैप फसलों को लगाने और उनके एक बार पूरी तरह से संक्रमित होने पर उन्हें हटाने से नुकसान को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
ईटीएल: 6 तैला प्रति पत्ती या 10 प्रतिशत प्रभावित फसल।
मिर्च की फसल में तेला का प्रबंधन:
प्रोडक्ट का नाम | तकनीकी सामग्री | प्रति लीटर पानी की मात्रा |
यांत्रिक प्रबंधन | ||
बैरिक्स मैजिक स्टिकर क्रोमेटिक ट्रैप नीली शीट | क्रोमेटिक ट्रैप | 8-10 शीट प्रति एकड़ |
तपस पीली स्टिकी ट्रैप | 22 सेमी x 28 सेमी | 6-8 शीट प्रति एकड़ |
जैविक प्रबंधन | ||
केबी थ्रिप्स रेज़ कीटनाशक | वनस्पति अर्क | 1-2 मिली प्रति लीटर पानी |
एकोनीम प्लस | एजाडिरेक्टिन 10000 पी पी एम | 3 मिली प्रति लीटर पानी |
कंट्रोल टीआरएम जैव – कीटनाशक | वनस्पति अर्क और एल्कलॉइड का संयोजन | 1.5-2 मिली प्रति लीटर पानी |
रासायनिक प्रबंधन | ||
एकटारा कीटनाशक | थायामेथोक्साम 25% WG | 0.5 ग्राम/लीटर पानी |
डेलीगेट कीटनाशक | स्पिनेटोरम 11.7% SC | 0.9 मिली प्रति लीटर पानी |
अलांटो कीटनाशक | थायाक्लोप्रिड 21.7% SC | 1-2 मिली प्रति लीटर पानी |
बेनेविया कीटनाशक | सायान्ट्रानिलिप्रोल 10.26% OD | 1.7-2.0 मिली प्रति लीटर पानी |
एक्सपोनस कीटनाशक | ब्रोफ्लानिलाइड 300 G/L SC | 0.2 मिली प्रति लीटर पानी |
ट्रेसर कीटनाशक | स्पिनोसैड 44.03% SC | 0.3-0.4 मिली प्रति लीटर पानी |
ई एम-1 कीटनाशक | एमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG | 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी |
टाकाफ कीटनाशक | डायाफेंथियुरॉन 47% + बाइफेंथ्रिन 9.4% SC | 1.25-1.5 मिली प्रति लीटर पानी |
कात्यायनी आईएमडी-178 | इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL | 0.5 मिली प्रति लीटर पानी |
मोवेंटो कीटनाशक | स्पिरोटेट्रामैट 15.31% OD | 2 मिली प्रति लीटर पानी |
प्राइम गोल्ड कीटनाशक | एसिटामिप्रिड 20% SP | 0.1-0.2 ग्राम प्रति लीटर पानी |
शिनचेन प्लस कीटनाशक | फिप्रोनिल 5% SC | 1.6-2 मिली प्रति लीटर पानी |
गोदरेज ग्रासिया कीटनाशक | फ्लक्सामेटामाइड 10% EC | 1 मिली प्रति लीटर पानी या 160 मिली प्रति एकड़ |
धानुका डिसाइड कीटनाशक | इथोफेन्प्रॉक्स 6% + डायाफेंथियुरॉन 25% WG | 2.5 मिली प्रति लीटर पानी |
तेला के बारे में और अधिक जानकारी के लिए – अधिक लाभ अर्जित करने के लिए मिर्च की फसल में ब्लैक तैला का प्रबंधन कैसे करें?
ध्यान दें: अगर फसल एक बार में मकड़ी और तैला दोनों से संक्रमित है तो ट्रेसर कीटनाशक (स्पिनोसैड) का छिड़काव न करें l
मिर्च की फसल में मकड़ी:
पीली मकड़ी का वैज्ञानिक नाम: पोलीफागोटारसोनेमस लैटस
मिर्च की फसल में मकड़ी के प्रकोप के लक्षण:
- इस कीट से संक्रमित पौधे की पत्तियां सिकुड़ कर नीचे की ओर मुड़ जाती है।
- पौधे की पत्तियां भुरभुरी हो जाती है और पत्तियों की निचली सतह पर फफोले दिखाई देते है।
- प्रभावित पत्तियां उल्टे नाव के आकार की दिखाई देती है।
- कुछ मामलों में, संक्रमित पत्तियों के डंठल लम्बे हो जाते है और इसे अक्सर “रेड टेल” लक्षण कहा जाता है।
- कुछ स्थिति में, प्रभावित पौधे की पत्तियां गहरे हरे रंग की दिखाई देती है।
- गंभीर संक्रमण की स्थिति में पतियों के शीर्ष सूख जाते है, कलियां एवं पत्तियां झड़ जाती है।
- इससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है और पौधे की मृत्यु हो जाती है।
मिर्च की फसल में मकड़ी को नियंत्रित करने के लिए निवारक उपाय:
- मिर्च की फसल के चारों ओर मक्का की 3-4 पंक्तियाँ लगाई जा सकती है l
- फसल अवशेषों और खरपतवारों को हटाकर खेत की सफाई बनाए रखें l
- जल तनाव एवं जल भराव की स्थिति से बचें l
- संक्रमित पत्तियों की समय पर छंटाई करें या लक्षण दिखाई देने वाले पौधों को हटा देना चाहिए l
- स्प्रिंकलर से ओवरहेड सिंचाई करें l
- रसायनों के अत्यधिक उपयोग से बचें l
- गैर-मेजबान फसलों जैसे फलीदार और कद्दू वर्गीय फसलों के साथ फसल चक्र अपनाएं l
- कीट प्रकोप का शीघ्र पता लगाने के लिए फसल की नियमित निगरानी रखें l
- नीम के बीज की गुठली का रस या नीम के तेल का 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें l
- एंब्लीसियस ओवालिस, प्राकृतिक परभक्षी का प्रयोग करें l
ईटीएल: 5-10 मकड़ी प्रति पत्ती l
मिर्च की फसल में मकड़ी का प्रबंधन:
प्रोडक्ट का नाम | तकनीकी सामग्री | प्रति लीटर पानी की मात्रा |
जैविक प्रबंधन | ||
एकोनीम जैव कीटनाशक | एजाडिरेक्टिन 3000 पी पी एम | 2.5–3 मिली प्रति लीटर पानी |
आर माइट जैव एकरिसाइड | पौधे का अर्क | 1–2 मिली प्रति लीटर पानी |
टेरा माइट | हर्बल फॉर्मूलेशन | 3–7 मिली प्रति लीटर पानी |
ग्रीनपीस नीमोल (10000 पी पी एम ) बायो नीम आयल कीटनाशक | नीम तेल निष्कर्ष (एजाडिरेक्टिन) | 1–2 मिली प्रति लीटर पानी |
नीम – एजाडिरेक्टिन 1500 पी पी एम (0.15%) EC – कीटनाशक | एजाडिरेक्टिन 1500 पी पी एम (0.15%) EC | 2–2.5 मिली प्रति लीटर पानी |
रासायनिक प्रबंधन | ||
ओबेरोन कीटनाशक | स्पाइरोमेसिफेन 240 SC (22.9% w/w) | 0.3 मिली प्रति लीटर पानी |
मेडन कीटनाशक | हेक्सिथियाज़ॉक्स 5.45% EC | 0.8–1 मिली प्रति लीटर पानी |
ईएमए गोल्ड कीटनाशक | इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG | 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी |
शोकू कीटनाशक | डायाफेंथायुरॉन 50% WP | 0.8–1.2 मिली प्रति लीटर पानी |
गोदरेज हानाबी | पाइरिडाबेन 20% w/w WP | 1 ग्राम प्रति लीटर पानी |
सेडना कीटनाशक | फेंपायरोक्सीमेट 5% SC | 1–1.5 मिली प्रति लीटर पानी |
फ्लोटिस कीटनाशक | बुप्रोफेजिन 25 SC | 0.5–1.2 मिली प्रति लीटर पानी |
इंट्रेपिड कीटनाशक | क्लोरफेनापायर 10% SC | 1.5–2 मिली प्रति लीटर पानी |
कूनोइची माइटीसाइड | सायनो पैराफिन 30% EC | 0.5–0.6 मिली प्रति लीटर पानी |
कीफन कीटनाशक | टोल्फेनपायराड 15% EC | 2 मिली प्रति लीटर पानी |
ओमाईट कीटनाशक | प्रोपरजाईट 57% EC | 3 मिली प्रति लीटर पानी |
मेथ्रिन कीटनाशक | फेनप्रोपाथ्रिन 30% EC | 0.5 मिली प्रति लीटर पानी |
मैजिस्टर कीटनाशक | फेनाज़ाक्विन 10% EC | 2 मिली प्रति लीटर पानी |
निष्कर्ष:
मिर्च की फसल में तैला एवं मकड़ी दोनों ही महत्वपूर्ण कीट है। मिर्च की उपज एवं गुणवत्ता को बनाए रखने, रोग फैलने से बचने और कीट क्षति के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए इन कीटों का प्रभावी प्रबंधन करना अति महत्वपूर्ण है। समन्वित कीट प्रबंधन को अपनाकर कीटों की आबादी को प्रबंधित करने और मिर्च की फसल में इन कीटों के कारण होने वाले उपज नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है।
ध्यान दें:
इकनॉमिक थ्रेसहोल्ड लेवल (ईटीएल) – यह जनसंख्या घनत्व है जिस पर कीट की बढ़ती आबादी को रोकने के लिए नियंत्रण उपायों को निर्धारित करने की जरूरत होती है। खेत में ईटीएल स्तर की जाँच करके, कीट को नियंत्रित करने, संक्रमण के जोखिम को कम करने और भविष्य में फसल के नुकसान को कम करने के लिए उपयुक्त कीट प्रबंधन के तरीकों को अपनाया जा सकता है।