अंगूर पुरे विश्व में उगाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण फल की फसल है। ज्यादातर इसका उत्पादन शराब और किशमिश तैयार करने के लिए किया जाता है। पुरे भारत में यदि अंगूर का कुल क्षेत्रफल देखा जाये तो यह लगभग 40,000 हेक्टेयर है। यह कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन बी जैसे खनिजों का काफी अच्छा स्रोत हैं। अंगूर की खेती किसानों के लिए सबसे मुनाफेदार फसल होती है। अगर आप भी अंगूर खेती से अधिक और अच्छा लाभ पाना चाहते हैं, तो इसकी संपूर्ण जानकारी के लिए पढ़िए इस लेख को पूरा।
अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त मृदा और जलवायु:
इसके विकास और फलने की अवधि के दौरान गर्म और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली समृद्ध दोमट मृदा उपयुक्त होती है साथ ही मृदा का पीएच मान 6.5 – 7.0 के बीच उचित माना जाता है।
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अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त खेत की तैयारी:
अंगूर की खेती के लिए, अच्छी तरह से तैयार भूमि की आवश्यकता होती है। मिट्टी पलटने वाले हल से 3 – 4 गहरी जुताई करें।
अंगूर की खेती के लिए उन्नत किस्में
अंगूर की विभिन्न प्रकार की किस्में
- बीज वाली किस्में – कार्डिनल, कॉनकॉर्ड सम्राट, इटालिया, अनाब-ए-शाही, चीमा साहेबी, कालीसाहेबी, राव साहेबी, आदि जिमसें बीज पाया जाता है।
- बीजरहित किस्में – थॉम्पसन सीडलेस, फ्लेम सीडलेस, किश्मिश चोर्नी, परलेट, अर्कावती आदि हैं।
- वे किस्में जिनसे किसमिश तैयार की जाती है – थॉम्पसन सीडलेस, माणिक चमन, सोनाका, ब्लैक कोरिंथ, ब्लैक मोनुक्का, अर्कावती, दत्तियर आदि हैं।
अंगूर की खेती के लिए पौधा रोपण दूरी और मौसम:
इसके लिए रोपण दुरी जैविक खेती के तहत 2.5 मीटर x 1.5 मीटर, 2.75 मीटर x 1.50 मीटर और 3.0 मीटर x 1.5 मीटर का अनुसरण किया जाता है।
अंगूर की खेती के लिए प्रसार:
अंगूर को बीज, कटिंग, लेयरिंग, बडिंग और ग्राफ्टिंग द्वारा प्रचारित किया जाता है। इसकी कटिंग को IBA के घोल से उपचारित किया जाता है।
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अंगूर की खेती के लिए निराई-गुड़ाई प्रक्रिया:
अंगूर की खेती के दौरान खरपतवार नियंत्रण के लिए बेल की पंक्तियों की दो से तीन बार निराई-गुड़ाई की जानी चाहिए।
अंगूर की खेती के लिए सिंचाई प्रक्रिया:
अंगूर को फलों की कली बनने के दौरान कम पानी की आवश्यकता होती है एवं फलों की वृद्धि के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। अंगूर के पकने के दौरान सिंचाई करें।
अंगूर फसल के लिए उपयुक्त खाद और उर्वरक:
- इसमें खाद के लिए 55 टन/हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद डाली जाती है।
- नीम की खली को 1.25 टन/हेक्टेयर की दर से लगाया जाता है।
अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त कटाई समय:
इसकी रोपाई कटिंग द्वारा सितंबर से अक्टूबर एवं जड़ स्टॉक द्वारा फरबरी से मार्च माह में करते हैं।
अंगूर की फसल में लगने वाले कीट और उनका नियंत्रण:
- थ्रिप्स– इसको नियंत्रण करने के लिए मिथाइल डेमेटोन 25 ईसी या डाइमेथोएट 30 ईसी @ 2 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें।
2. मिली बग – यह छोटे-छोटे, अंडाकार, मुलायम शरीर वाले रस चूषक रूई के समान कीट है। इसके नियंत्रण के लिए तफ़गोर कीटनाशक 2 मिली/लीटर पानी छिड़काव करें।
अंगूर की फसल में लगने वाले रोग और उनका नियंत्रण:
कोमल फफूंदी – यह अंगूर की फसल का सबसे खतरनाक रोग होता है, इसको नियंत्रण करने के लिए बोर्डेक्स मिक्सचर का उपयोग करें एवं श्रेष्ठ कवकनाशकों का उपयोग करें और दूसरा कुमान एल कवकनाशी का उपयोग करें – मात्रा: 750 ग्राम 1000 ली पानी
निष्कर्ष:
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