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भिंडी में एफिड्स (माहू) कीट के प्रकोप को नियंत्रण करने का आसान उपाय

भिंडी भारत में पुरे साल उगाई जाने वाली सबसे महत्वूर्ण  फसलों में से एक है। यह मालवेसी प्रजाति की फसल है। यह मूलरूप से  इथीओपिया स्थान की है। यह एक ऐसे सब्जी है, जिसका पुरे विश्व में अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है। भिंडी की खेती आमतौर पर उष्ण और उपउष्ण क्षेत्रों में की जाती है। भारत में मुख्यरूप से उड़ीशा, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल आदि जैसे राज्यों में इसकी खेती की जाती हैभिंडी कैल्सियम, विटामिन्स और मिनरल्स का अच्छा श्रोत माना जाता हैइसकी खेती से किसानों को अच्छी पैदावार के साथसाथ मुनाफा भी प्राप्त होता हैभिंडी में आमतौर पर कीटों का दुष्प्रभाव किसानों के लिए एक एहम परेशानी की जड़ होती हैजो फसलों को पूर्णरूप से ख़राब कर बर्बाद कर देती हैंइन्हीं में से एक है एफिड्स जो मुख्यरूप से भिंडी की फसल में लगते हैंएफिड्स क्या है, इनके लक्षण और इनसे कैसे फसल का बचाव किया जाये आइये जानते हैं इस लेख में। 

एफिड्स क्या होते है ?

एफिड्स एक प्रकार के रस चूसक कीट होते हैं,जो आमतौर पर भिंडी की फसल पर पाए जाते हैं। यह कीट बहुत ही नरम शरीर वाले होते हैं, जो पौधे की पत्तियों के नीचे और तनों पर पाए जाते हैं। यह रंग में  हरे या पीले होते हैं। लेकिन यह भिंडी की अलग – अलग किस्मों और मेजबान पौधों के आधार पर गुलाबी, भूरा, लाल या काला रंग के भी होते हैं। एफिड्स हनीड्यू नामक एक चिपचिपा, मीठा पदार्थ स्रावित करते हैं। यह कीट वयस्क पंख और पंखहीन दोनों रूपों में मौजूद होते हैयह कीट आकार में छोटे होते हैं, इसलिए इनकी पहचान करना बहुत ही कठिन होता हैइन कीटों की प्रजनन शक्ति बहुत अधिक होती है, इसलिए इनकी रोकथाम प्रजनन के शुरुआती दौर में करना जरूरी होता है, अन्यथा यह तेज़ी से बढ़ते हैं और फलों और पत्तियों को पूर्णरूप से प्रभावित करते हैं,जिसके फल स्वरुप फसल सूखकर नष्ट हो जाती है।  

लक्षण  

  • यदि एफिड कीट का प्रकोप अधिक होता है, तो इससे पत्तियां पीली हो जाती हैं एवं विकृत हो जाते हैं 
  •  पत्तियों पर परिगलित धब्बे  हो जाते है।  
  • पौधे का विकास रुक जाता है 
  • पौधे सूख जाते हैं।  
  • गंभीर संक्रमण के परिणामस्वरूप पत्तियां मुड़ जाती हैं। 
  • माहू अपनी लार के द्वारा पत्तियों का रस चूसते हैं और जिस जगह पर आक्रमण होता है वहां काले रंग के धब्बे जैसे सांचे विकसित हो जाते हैं एवं पौधा पूर्ण रूप से कमजोर हो जाता है। 

जीवन चक्र  

पंखों वाली और पंखहीन मादाएं पार्थेनोजेनेटिक रूप से और जीवंत रूप से गुणा करती हैं मादा एक दिन में 8-20 कीट को जन्म दे सकती है 

नियंत्रण – 

रसायनिक नियंत्रण  

भिंडी की फसल का एफिड कीट के प्रकोप से बचाव करने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें। इसके लिए बिगहाट ने उच्च गुणवत्ता के कीटनाशकों को सूचीबद्ध किया है, जिनके उपयोग से फसल को कीटों के प्रकोप को आसानी से बचाया जा सकता है। चलिए विस्तार से इनके बारे में जानें। 

इकोनीम प्लस 

इकोनीम प्लस एक बेहतरीन उच्च गुणवत्ता का कीटनाशक है। जो कीटों को आसानी से नियंत्रित करने में सक्षम होता है। इसके लिए आप प्रभावित फसल पर इसका छिड़काव करें।  

मात्रा: 800 -1000 मि.ग्राम प्रति हेक्टेयर। 

तपस इको स्टिकी ट्रैप 

  • तपस को स्टिकी ट्रैप एक बेहतरीन उच्च गुणवत्ता का कीटनाशक है। जो कीटों को आसानी से नियंत्रित करने में सक्षम होता है। 
  • यह कीटों को चिपकाने वाली परत है।  
  • इसके ऊपर कीट बैठते ही चिपक जाता है। 
  • त्वरित और सरल निगरानी के लिए आदर्श है। 
  • यह गैर विषैला होता है और जल्दी से सूखता नहीं है।  
  • प्रवाभित क्षेत्रों में आसानी से स्थापित कर सकते हैं।  

धनप्रीत कीटनाशक 

धनप्रीत कीटनाशक एक बेहतरीन उच्च गुणवत्ता का कीटनाशक है। जो कीटों को आसानी से नियंत्रित करने में सक्षम होता है. इसका प्रभावित फसल पर छिड़काव करें।   

मात्रा: 40- 60.ग्राम प्रति एकड़  

ताइयो कीटनाशक 

ताइयो कीटनाशक ताइयो चूसने वाले कीटों के प्रति उत्कृष्ट, और लंबे समय तक चलने वाला नियंत्रण प्रदान करता है। 

मात्रा: 40- 60.ग्राम प्रति एकड़ 

निष्कर्ष:      

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