भारतीय किसान विभिन्न सब्जियों की खेती कर लाखों रुपये का मुनाफा कमाते हैं। जिनमें भिंडी एक लोकप्रिय सब्जी है। भिंडी को अंग्रजी भाषा में लेडी फिंगर और ओकरा के नाम से भी जाना जाता है। इसकी खेती पुरे भारत वर्ष में व्यपाक रूप से की जाती है। हालाँकि भिंडी की फसल फ्यूसेरियम विल्ट, पाउडरी फफूंदी, पत्ती धब्बा और पीली शिरा मोज़ेक वायरस आदि जैसे विभिन्न रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील होती है। जो फसल की गुणवत्ता और उपज को हानि पहुंचाते है। इनमें से पीला शिरा मौजेक वायरस रोग या शिरा-समाशोधन भारत के सभी भिंडी उत्पादक क्षेत्रों में सबसे विनाशकारी वायरल रोग है। बता दें यदि फसल प्रारंभिक अवस्था में वायरस से प्रभावित होती है, तो 80% तक फसल के नुकसान होने की सम्भावना रहती है। ऐसे में आज हम आपको भिंडी की फसल में लगने वाला पीला शिरा मोजैक वायरस रोग को नियंत्रित करने के लिए उन महत्वपूर्ण उपयों की जानकारी देंगे।
पीला शिरा मौजेक वायरस रोग क्या है?
यह एक प्रकार का वायरल रोग है। यह रोग फसल की किसी भी विकास अवस्था में आक्रमण करता है। इस रोग का अधिक संक्रमण गर्मियों के महीनों के दौरान होता है, जब सफेद मक्खियों का प्रकोप और संक्रमण अधिक गंभीर होता है।
कारक जीव: वायरस / विषाणु
वेक्टर: सफेद मक्खी
लक्षण:
- इससे संक्रमित पत्तियों की शिराएं पीली पड़ जाती हैं। इसलिए इसको पीला शिरा रोग भी कहते हैं।
- बाद में, पत्तियों के अंतःशिराओ के क्षेत्र पीले या सफेद हो जाते हैं।
- संक्रमित पौधे की पत्तियों पर पीले और हरे रंग के मोज़ेक पैटर्न दिखाई दे देते हैं।
- गंभीर संक्रमण की स्थिति में, प्रभावित नई पत्तियों में पूर्ण क्लोरोसिस दिखाई देता है।
- संक्रमित पौधों का विकास रुक जाता है और आकार छोटा हो जाता है।
- पत्तियाँ आकार में छोटी, विकृत एवं सिकुड़ी हुई दिखाई देती हैं।
- प्रभावित पौधों में फूल और फल कम आते हैं, यदि आते भी हैं तो फल विकृत, आकार में छोटे, सख्त और पीले हरे रंग के उत्पन्न होते हैं।
निवारक उपाय:
- प्रतिरोधी किस्में – रुद्राक्ष F1 रोशनी भिंडी, ऊर्जा एग्री – भिंडी मरीना, सर्पन F1 हाइब्रिड भिंडी, इंदाम 9821 भिंडी, पान 2127 हाइब्रिड भिंडी आदि उगाएं।
- गर्मियों के दौरान अतिसंवेदनशील किस्मों को उगाने से बचें, क्योंकि इस मौसम में सफेद मक्खी की गतिविधि अधिक होती है।
- संक्रमित पौधों को खेत से हटा कर नष्ट कर दें।
- खेत को खरपतवार से मुक्त रखें।
- सफेद मक्खियों की जनसंख्या को नियंत्रित करें और वायरस के प्रसार को रोकें।
- सफेद मक्खियों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए सफेद मक्खियों के प्राकृतिक शिकारियों, जैसे लेडीबग और लेसविंग को बढ़ावा दें।
- अमोनियायुक्त नाइट्रोजन उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से बचें क्योंकि इससे पौधों में वायरल संक्रमण की आशंका बढ़ सकती है।
- मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और रोग संचरण के जोखिम को कम करने के लिए भिंडी के साथ बारी-बारी से सेम या मसूर जैसी फलीदार फसलें उगाएं।
- सफेद मक्खी को फंसाने के लिए सीमावर्ती फसलों के रूप में गेंदा, मक्का या सूरजमुखी जैसी फसलें लगाएं।
- सफेद मक्खियों को दूर भगाने के लिए मिर्च और लहसुन के अर्क का छिड़काव करें।
- YVMV के प्रति पौधे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और रोग की घटनाओं को कम करने के लिए मैग्नम MN और जियो लाइफ नो वायरस का पत्ते पर छिड़काव करें।
- गैर-मेजबान फसलों के साथ फसल चक्र अपनाएं।
- पीले चिपचिपे जालों का 6-8 प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।
रासायनिक नियंत्रण:
उत्पाद नाम | रासायनिक संघठन | मात्रा |
यांत्रिक प्रबंधन | ||
तपस येल्लो स्टिकी ट्रैप | स्टिकी ट्रैप | 4 – 6 प्रति एकड़ |
जैविक प्रबंधन | ||
ग्रीनपीस निमोल बायो नीम ऑयल | नीम के तेल का अर्क (अज़ाडिरेक्टिन) | 1 – 2 मिली/ लीटर पानी |
आनंद डॉ बैक्टोज़ ब्रेव | ब्यूवेरिया बैसियाना | 2.5 मिली/ लीटर पानी |
रासायनिक प्रबंधन | ||
अनंत कीटनाशक | थियामेथोक्सम 25% WG | 0.3 – 0.5 ग्राम/ लीटर पानी |
बेनेविया कीटनाशक | साइनट्रानिलिप्रोले 10.26% OD | 1.7 – 2 मिली/ लीटर पानी |
धनप्रीत कीटनाशक | एसिटामिप्रिड 20% SP | 0.2 – 0.4 ग्राम/लीटर पानी |
टाटामिडा SL कीटनाशक | इमिडाक्लोप्रिड17.8% SL | 1 – 2 मिली/ लीटर पानी |
पुलिस कीटनाशक | फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड40% WG | 0.2 – 0.6 ग्राम/लीटर पानी |
ओशीन कीटनाशक | डिनोटेफ्यूरन 20 % SG | 0.3 – 0.4 ग्राम/लीटर पानी |
मोवेंटो एनर्जी कीटनाशक | स्पाइरोटेट्रामैट 11.01% + इमिडाक्लोप्रिड 11.01% SC | 0.5 – 1मिली/ लीटर पानी |